जन्म – 16 मार्च 1907
जन्म स्थान – अजयगढ़, पन्ना (म०प्र०)
मृत्यु – 5 सितम्बर 1986
प्रसिद्ध शिक्षाविद एवं हिंदी के साहित्यकार अम्बिका प्रसाद दिव्य का जन्म मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में अजयगढ़ नामक गाँव 16 मार्च 1907 ई० को हुआ था ! इनका परिवार अपने गाँव का एक संपन्न कायस्थ परिवार था, जिस कारण से इनके पूरे परिवार का गाँव में काफी अधिक सम्मान था, दिव्य जी बाल्यकाल से बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, इनकी ज्ञान कुशलता इतनी तीव्र थी की इन्होनें बहुत ही कम उम्र में साहित्य लेखन का कार्य आरम्भ कर दिए !
इन्होनें बहुत सी भाषाओं का ज्ञान अर्जित कर लिया था जिनमें अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृति, फारसी,रुसी भाषा शामिल है ! इन्होनें अपने द्वारा रचित रचनाओ में बुंदेलखंड एवं उसके आस-पास के वातावरण को उल्लेखित किया है अपनी प्रकृति पूर्ण रचनओं के कारण इनकी गिनती भारत के नामचीन साहित्यकारों में की जाती है हिन्दी साहित्य से स्नातकोत्तर करने के उपरांत दिव्य जी ने मध्य प्रदेश शिक्षा विभाग में बतौर प्राचार्य के पद को सुशोभित करने लगे और इस पद पर अपनी सेवानिवृत्ति तक बने रहे, इनकी रचनाओं का केंद्र बिंदु बुंदेलखंड एवं आस-पास का क्षेत्र रहा, 5 सितम्बर 1986 ई० को शिक्षक दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम के दौरान हृदय गाति रुक जाने से दिव्य जी का निधन हो जाता है ! मध्य प्रदेश साहित्य समाज ने इनकी स्मृति पर 1997 से दिव्य पुरस्कार की शुरुवात किया !
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साहित्यिक परिचय –
दिव्य जी की रचनाओं में बुंदेलखंड एवं उसके आस-पास के क्षेत्रों का साहित्यिक समावेश मिलता हैं, इन्होनें बुंदेलखंड के नायकों को बहुत ही रोमांचित ढंग से अपनी रचनाओं में पिरोया हैं, जिस कारण इनकी रचनाओं में प्रकृति की सुरम्यता का स्पष्ट रूप देखने को मिलता है ! इनकी रचनाओं में शब्दों का बहुत ही सरल एवं स्पष्ट स्वरूप देखने मिलता है, जिसे किसी तरह का साहित्य प्रेमी आसानी से समझ सकता है !
रचनायें –
उपन्यास-
- खजुराहों की अतिरुपा, प्रीताद्रि की राजकुमारी
- काला भौरा
- योगी राजा
- सती का पत्थर
- जूठी पातर
- फजल का मकबरा
- जयदुर्ग का राजमहल
- असीम का सीमा
- प्रेमी तपस्वी आदि
महाकाव्य तथा कविता संग्रह –
- अंतर्जगत
- गांधी पारायण
- रामदर्पण खजुराहों की रानी
- दिव्य दोहावली
- पावस
- पिपासा
- स्त्रोत स्विनी
- पश्यन्ति
- भारत गीत
- विचिन्तयंति
- अनन्यमनसा आदि !
नाटक-
- लंकेश्वर
- भोजनंदन कंश
- निर्वाण पथ
- तीन पग
- कामधेनू
- सूत्रपात
- प्रलय का बीच
- चरण चिन्ह
- रूपक मंजरी
- रूपक सरिता
- झाँसी की रानी
- भारत माता
- फूटी आँखें !
निबन्ध-
- दीप सरीता
- निबन्ध विविधा
- हमारी चित्रकला लोकोिक्त सागर
सम्मान एवं पुरस्कार –
- छत्रसाल पुस्स्कार (दीप सरीता एवं हमारी चित्रकला )
- आदर्श प्राचार्य (1960)
- राष्ट्र पति पुरस्कार (प्रथम राष्ट्रीय डॉ०राजेन्द्र प्रसाद द्वारा )