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काशीनाथ सिंह – जीवन परिचय

KASHINATH SINGH – JEEVAN PARICHAY//BIOGRAPHY

जन्म – 1 जनवरी  1937 ई.
जन्म स्थान  – जीयनपुर , चंदौली (उ. प्र.)
पिता  – नागर सिंह

प्रसिद्ध कहानीकार एवं उपन्यासकार काशीनाथ सिंह का जन्म जीयनपुर (वाराणसी), वर्तमान में चंदौली उ.प्र. में 1 जनवरी 1937 ई० की हुआ था, इनके पिता नागर सिंह एक किसान और प्राथमिक विद्यालय के अध्यापक थे, जो की लगभग 10 एकड़ की भूमि पर कृषि कार्य करते थे, अपने माता- पिता की संतानो में काशीनाथ सबसे छोटे है इनकी प्रारम्भिक शिक्षा इनके गाँव जीयनपुर में ही सम्पन्न हुयी इन्हें बचपन से ही हिन्दी साहित्य का बहुत शौक था जिससे इनकी रूचि हिंदी जगत के लेखन में बढती चली गयी, प्रारंभिक शिक्षा के उपरान्त काशीनाथ सिंह ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातक, परास्नातक तथा पी.एचडी. की उपाधि प्राप्त किये इनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी जिसके कारण परिवार में कई प्रकार की समस्यायें थी,

विद्यार्थी जीवन में काशीनाथ सिंह एक बात हमेशा कहा करते थे कि अपने दुःख के बदले दूसरों के दुःख को देखो तब आपको लगेगा की उनके दुःख के आगे आपका दुःख कुछ भी नहीं है ! जीवन में बहुत ही विपन्नताओं और संघर्षों को काशीनाथ सिंह ने बहुत ही करीब से देखा है !

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में शोध के दौरान इनके गुरु आचार्य हजारी प्रसाद दिवेदी थे जो किन्ही कारणों से निकाल दिये गये थे, आचार्य जी के निकलने के दौरान इनके शोध का मात्र एक वर्ष हुआ था जिस कारण इनके सामने एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो गयी ! फिर ये अपने विभाग में किसी भी अध्यापक के निर्देशन में शोध कार्य पूर्ण करने की तैयारी करने लगे किन्तु कोई भी अध्यापक इनकी मद्द को तैयार नहीं हुआ सबको एक बात का डर था कि अगर मैंने अपने निर्देशन में इनका शोध कार्य कराया तो विभागाध्यक्ष नाराज हो जायेंगे ! अंततः सबसे हारकर काशीनाथ सिंह करुणापति त्रिपाठी के पास गये जो कि विभाग में सबसे कम लोकप्रिय अध्यापक थे और उस दौर के दिग्गज कांग्रेसी नेता कमलापति त्रिपाठी के भाई थे ! करुणापति त्रिपाठी के संरक्षण में इनका शोध कार्य संपन्न हुआ !

हिन्दी साहित्य में काशीनाथ सिंह का पदर्पण तब हुआ जब इनके बड़े भाई “नामवर सिंह” का एक छत्र राज्य चलता था और उनके सामने किसी भी साहित्यकार की टिकने की हिम्मत नहीं होती थी ! उनके सामने खड़ा हो गया उनका अपना भाई काशीनाथ सिंह, जो कहते हैं कि मैं नामवर से कम नहीं हूँ ! काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से शोध कार्य पूर्ण होने के बाद यहीं पर इन्होने अध्यापन का कार्य किया, काशीनाथ कहते है कि समाज में अगर कोई परिवर्तन करना है तो राजनीति से कीजिए क्योकि साहित्य से कोई परिवर्तन होना सम्भव नहीं है !

साहित्यिक परिचय

हिन्दी साहित्य के एक प्रख्यात लेखक के रूप में काशीनाथ सिंह अपनी सेवायें दे रहें हैं, साहित्य के क्षेत्र में इन्होने कई प्रकार की रचनाओं को रचित किया है जिनमें प्रमुख रूप से काशी का अस्सी, रेहन पर रग्घू, घोआस, अपना मोर्चा आदि प्रसिध्य उपन्यास है ! यह एक सफल उपन्यासकार – कहानीकार एवं नाटककार के नाम से जाने जाते हैं !

रचनायें

आदमीनामा, रेहन पर रग्घू, काशी का अस्सी, सुबह का डर, आछे दिन पाछे गये, अपना मोर्चा, कविता की नयी तारीख आदि !

सम्मान एवं पुरस्कार –

भारत-भारती सम्मान, समुच्य सम्मान, शरदजोशी सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान, साहित्य अकादमी पुरस्कार   

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