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धर्मवीर भारती – जीवन परिचय

न्म – 25 दिसम्बर 1926 ई०

जन्म स्थान –  इलाहाबाद (उ० प्र०)

पिता – श्री चिरंजीव लाल वर्मा

मृत्यु- 4 सितम्बर 1997 ई०

हिन्दी साहित्य के प्रख्यात लेखक धर्मवीर भारती का जन्म इलाहाबाद शहर के अतर सुइया मोहल्ले में 25 दिसम्बर 1926 ई० को हुआ इनके पिता चिरंजीव लाल वर्मा तथा माता श्री मति चंदा देवी थी ! परिवार का माहौल पूर्णरूप से आर्य समाज में ढला हुआ था जिसके कारण धर्मवीर भारती के ऊपर धार्मिकता का गहरा प्रभाव पड़ा इनकी प्रारम्भिक शिक्षा इलाहाबाद के डी० ए० वी० कालेज एवं उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से सम्पन्न हुई, इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ही आपने डॉ० धीरेन्द वर्मा के निर्देशन में शोध कार्य कर के पी-एच० डी० की उपाधि ली !

शोध के दौरान इलाहाबाद विश्वविद्यालय के साहित्य माहौल एवं देश में हो रही विभिन्न प्रकार की राजनितिक गतिविधियों का आपके ऊपर बहुत ही क्रन्तिकारी प्रभाव पड़ा इन सब कारणों में एक कारण यह भी था कि इनके बाल्यकाल में ही इनके पिता का निधन हो गया जिस कारण इन्हे बहुत अधिक आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा, अपने आर्थिक विकास के लिये मार्क्स के सिद्धांत को आदर्श मानते थे किन्तु यह भी इनके लिए बहुत कारगार सिद्ध नहीं हुआ ! कुछ दिनों तक आपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्राध्यापक के पद को सुशोभित किया सन 1959 ई० से 1987  ई० तक आपने उस दौर की प्रशिद्ध पत्रिका “धर्म युग” जो की मुंबई से प्रकाशित होती थी, का संपादन किया भारती जी को केवल दो प्रकार के शौक थे यात्रा और अध्यापन, आजीवन काल तक अपने इन दो शौक को जिन्दा रखा !

न 1972 ई० में भारत सरकार ने इन्हे “पद्मश्री” की उपाधि से अलंकृत किया भारती जी की रचनाओं में काव्य, कथा तथा नाटक का समावेश मिलता है ! इनकी कविताओं में रागतत्व की रमणीयता के साथ बौधिक उत्कर्ष की आभा दर्शनीय है ! भाषा के प्रयोग में सरलता, सजीवता और आत्मीयता का पुरजोर संकलन है हिन्दी साहित्य का अनूठा लेखक 4 सितम्बर 1997  ई० को इस संसार से विदा हो गया !

साहित्यिक परिचय

र्मवीर भारती जी एक प्रतिभाशाली कवि,कथाकार एवं नाटककार थे ! अपने द्वारा रचित कहानियों और उपन्यासों में इन्होने सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक समस्यायों को उठाते हुए बड़े ही जीवन्त रूप में प्रस्तुत किया है, अपनी भाषा में परिमार्जित खड़ी बोली का प्रयोग किया साहित्य में इनके इतने अधिक योगदान के कारण साहित्य जगत की विभिन्न प्रकार की पुरस्कारों से नवाजा गया, इनकी लेखन शैली इतनी खुबसूरत थी की जिस भी साहित्यिक विधा को इनका स्पर्श हुआ वह विधा अमर हो गयी ! “गुनाहों का देवता” जैसा सशक्त उपन्यास लिखकर इन्होने अपनी लेखनी का बखुबी परिचय हिन्दी साहित्य को दिया !

चनायें

इनकी लेखनी में हिन्दी साहित्य की कहानी निबंध, एकाकी, उपन्यास, नाटक, आलोचना , संपादन एवं काव्य क्षेत्र में विभिन्न पुस्तकों की रचना किये ! अपनी रचनाओं में भावात्मक, समीक्षात्मक, वर्णात्मक शैलियों का प्रयोग करके इन्हे और अधिक रुचिकर बना देते थे !

ल्लेखनीय कृतियाँ –

                      “नुप्रिया,  “गुनाहों का देवता”, “ठण्डा लोहा”, “अन्धायुग”, “सात गीतवर्ष”, “सूरज का सातवाँ घोड़ा”, “मानस मूल्य”, “साहित्य”, “नदी प्यासी”, “कहनी- अनकहनी”, “ठेले पर हिमालय”, “परयान्ति”, “देशान्तर”

उल्लेखनीय सम्मान
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