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पढ़ाई में जरूरी है सोसल मिडिया-मैनेजमेंट
Study and Social Media- How to manage?
Study Tips
Study and Social media- How to Manage?
परीक्षा की तैयारी में सोसल मिडिया की भूमिका
आज के दौर में परीक्षा की तैयारी हो या हमारा दैनिक जीवन। सोसल मिडिया को एकदम से इग्नोर करना संभव नही।मैं कई ऐसे लोगों से मिला हूं जिन्होनें सोसल मिडिया की बदौलत ही कई परीक्षाएं उत्तीर्ण की है, जबकि कई ऐसे लोगो से भी मिला हूं, जो खासे तेज तर्रार रिकार्डधारी हैं पर जब बात नौकरी की हो तो अभी तक उन्होनें किसी भी परीक्षा का प्री भी क्वालीफाई नही किया, जबकि उनका एकेडमिक रिकार्ड काफी अच्छा है.
दोनों प्रकार के प्रतियोगियों में जो बेसिक अंतर है, उसे ही जाननें का प्रयास इस लेख में किया गया है। ताकि सोसल मिडिया की वास्तविक ताकत से आप परिचित हों। उसे अपनी सफलता का शस्त्र बना सके न कि समय व ऊर्जा की बर्बादी का कारण
पूरा लेख पढ़ें-
आनलाईन कोचिंग हो स्कूल हो या फिर कोई बड़ी कोचिंग संस्था ऐसे छात्र व प्रतियोगी हर जगह दिखायी देते है जो प्राप्त तो कुछ और करना चाहते हैं पर कार्य कुछ और कर रहे होते हैं।
सीधे शब्दो में समझिए कि जाना उनको राजस्थान है पर बैठे हैं बंगाल की ट्रेन में। क्या यह ट्रेन उन्हे उनके डेस्टिनेशन तक पहुंचा पायेगी?
सीधा सा उत्तर है- नही
कुछ ऐसा ही परिदृश्य हमें सोसल मिडिया में दिखता है। कुछ प्रतियोगी तैयारी के लिए बनें न जानें कितनें ग्रुप फेसबुक और व्हाट्सअप पर ज्वाईन कर लेतें हैं, न जानें कितने चैनल यूट्यूब पर सब्सक्राइब किये रहते है पर चार पांच साल भी आपको वे वहीं पर दिखाई देते है, उनके वही सवाल रिपीट होते हैं कि अगली भर्ती कब आयेगी, इम्पोर्टेंट टापिक कौन सा है और क्या और कैसे पढा जाये कि इस बार परीक्षा क्रैक हो जाये.
पुरानी कहावत है-
अगर आप उसी रास्ते से दोबारा जा रहें है तो आप पहुचेंगे भी वहीं.
अर्थात नया परिणाम प्राप्त करनें के लिए हमें नयी व सटीक रणनीति की आवश्यक्ता है।
अध्ययन में हम सोसल मिडिया को कैसे मैनेज करें व कैसे उसका पूरा लाभ उठाएं
मै आपको सोसल मिडिया को छोड़नें या दूर रहनें की सलाह नही दूंगा। पर आपको यह बताउंगा कि आप कैसे बुक्स और आनलाइन स्टडी को मैनेज कर उसका पूरा लाभ परीक्षा के लिए उठा सकते हैं और कम समय में ही कठिन से कठिन परीक्षा को क्रैक कर सकते हैं।
यह नियम आपको केवल आदर्श नियम की तरह नही, वरन प्रायोगिक तौर पर भी सफल हैं और बहुत सारे सफल अभ्यर्थी इस टेक्निक का प्रयोग कर चुके हैं और बहुत सारे मेधावी कर रहे हैं।
ये 5 नियम आपके लिए सफलता का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
नियम 1- सोसल मिडिया का नोटिफिकेशन बंद कर दें अभी…
अक्सर देखा है मैनें कि प्रतियोगी मोबाईल को बगल मे रखकर ही बुक्स से स्टडी शुरू करते है। आप एक दो पेज मुश्किल से पढ़ पाये हैं तभी व्हाट्सअप या फेसबुक या यूट्यूब या जो भी हो उसका कोई नोटिफिकेशन स्क्रीन पर फ्लैश होता है,और आप उसे देखने और जवाब देनें मे लग जाते हो. कभी कभी तो यह वार्ता घंटो चलती है जो तीन घंटे आप पढ़ सकते थे वो जाया हो गये। परीक्षा में जो प्रश्न आयेंगे वो आपकी बुक्स से आयेंगे और यही दोस्त बाद मे आपके असफल होनें पर आपका मजाक उड़ायेंगे.
सोचिये की जरूरी क्या था और आप कर क्या रहे हैं. अब गलत ट्रेन में बैठ जायेंगे तो मंजिल तक कैसे पहुंचेगे..
दो- दो पांच-पांच मिनट की वार्ता भी आपकी ऊर्जा आपके मन पर प्रभाव डालती है। कुछ नकारात्मक व्यक्तियों के कमेन्ट आपका मूड आफ कर सकते हैं, उसके बाद आपकी उस दिन की पूरी पढ़ाई को बर्बाद कर सकते हैं.. सोचिये कि किसका नुकसान है
आपको कुछ सवाल अपने आप से करनें चाहिए-
- क्या हर आदमी जो आपसे फेसबुक व्हाट्सअप ग्रुप में जुड़ा है उसकी हर पोस्ट देखनी जरूरी है
- हजारो किलोमीटर दूर बैठे व्यक्ति से जो व्यर्थ की बातें आप कर रहे हैं क्या वह आपके लिए उत्पादक है?
- अगर आप सरकारी नौकरी के लिए तैयारी कर रहे हैं तो किसी लोकल अपराध पर इतना मंथन क्या उचित है क्या इससे प्रश्न बनेंगे?
- और सबसे बड़ा सवाल- आपका लक्ष्य , वह चाहे जो हो, क्या आपकी यह वार्ता या चैट उससे सम्बन्धित है और आपको मंजिल तक ले जायेगी
जवाब खोजिए और ऐसे लोगों को अनफालो करिए.
आपकी दुनियां सकारात्मक व खूबसूरत हो जायेगी।
नियम 2- सोसल मिडिया पर किससे जुड़े और किससे दूर रहें..
अक्सर हम बिना सोचे समझे हजारो लाखों पेज अनेको ग्रुप और पर्सन्स को फालो करनें लगते हैं..सभी का नोटिफिकेशन आन कर लेते है, नतीजा केवल समय की बर्बादी और आप का लक्ष्य से डिस्ट्रैक्सन है।
याद रखिये- अत्यधिक सूचनाएं भी आपको लक्ष्य से दूर कर सकती है
मै आपको एक उदाहरण देता हूं- मान लिया कि आप सीटेट पीसीएस एसएससी या किसी यूनिवर्सिटी एक्जाम की तैयारी मे लगे हैं, कोविड की वजह से परीक्षाएं थोड़ी अनिश्चित हो गयी है बार बार टल रही है, और आप पूरा दिन रोज सिर्फ ऐसी खबरे ही सोसल मिडिया और गूगल पर सर्च कर रहे है कि अमुक परीक्षा कब होगी कैसे होगी और होगी भी या नही होगी..
कही कही आपको बताया जायेगा की परीक्षा अमुक महीनें की अमुक डेट को है पर महामारी ज्यादा बढ़ी तो टल सकती है। कही पर यह बताया जा रहा है कि परीक्षा हो ही नही सकती…
अब आपके मन में कैसे भाव आयेंगे जायेगे, बतानें की जरूरत नही.
बस एक सवाल है कि क्या ऐसी स्थिति में आप पढ़ सकते हैं? और मान लिया परीक्षा निकट ही कभी करा ली गयी तो क्या आप सफल हो पायेगें?
पुरानीं कहावत है कि अगर यह उलझन है कि
खाएं कि न खांए तो न खाना ही ठीक है
और जाएं कि न जाएं तो चले जाना ही ठीक है
अर्थात जो भी डेट होगी जो भी होगा आयोग आपको सूचित करेगा. कुछ ट्रस्टेड यूट्यूब चैनल जैसे Study with Gyan Prakash से आपको सूचना मिल ही जायेगी, अखबारो के माध्यम से भी सूचना मिलेगी ही तो क्यों अपना समय व्यर्थ करना?
नियम 3- आधा दिन किताब आधा दिन मिक्स फार्मूला
अपनें समय को विभाजित करिये। जब परीक्षा की तैयारी में गंभीरता से लगे हों तो बुक्स और नोट्स की सहायता अधिक लें। डिसाइड करिए कि जब बुक्स व नोट्स से पढ़ रहे है तो आनलाइन मटेरियल, विडियोज, क्विज मत अटेम्पट करिए।
छोटे छोटे लक्ष्य रखिए और रोज उसे पूरा करनें का संकल्प । मैं संकल्प शब्द प्रयोग कर रहा हू, कोशिश नही.. मतलब आज का काम जो भी आपने निश्चित किया है उसे हर हाल में पूरा करनें के लिए पूरा प्रयास.
बाकी के समय मे आप विडियोज, आनलाइन क्विज और अन्य कार्य करिए..
संतुलन जरूरी है. आनलाइन पढ़ते समय वही डिसिप्लीन धारण करिए जो एक योग्य छात्र कक्षा में रखता है. अपनें गुरू का विश्वास करे, उनका सम्मान करें। ये आपके व्यक्तित्व को निखारेगा।
नियम 4- आनलाईन स्टडी व सर्च- एक पावरफुल टूल है
कभी कभी हम अध्ययन के समय किसी बिन्दु को स्पष्ट समझ नही पाते हैं, ऐसे समय में आप आनलाईन सर्च का पावरफुल यूज कर सकते हैं। आप सोसल मिडिया पर न जाकर उस टापिक को गूगल या यूबट्यूब पर सर्च करें और जो सबसे सटीक आंसर मिलेगा उससे आपका संदेह दूर हो जायेगा।
कभी भी स्टडी के दौरान फेसबुक पर जाकर प्रश्न पोस्ट न करें, ऐसा करेंगे तो बाद में आप खुद को दोबारा फेसबुक पर जानें से नही रोक सकते, आपकी जिज्ञासा कि उस पोस्ट पर क्या कमेन्ट या रिप्लाई आया आपको वापस जानें पर मजूबर कर देगी।
और दो दो पांच पांच मिनट सोसल मिडिया पर बिताया यह समय आपके लिए अच्छा नही है।
याद रखिए..
आप सेकेन्डस् की परवाह करें, मिनट, घंटे और दिन अपनी परवाह स्वयं कर लेंगे।
नियम 4- हर टापर को आदर्श मानकर उसका अंधानुकरण न करें..
जैसे ही कोई छात्र या प्रतियोगी किसी परीक्षा में सम्मानजनक स्थिति में पास होता है, उसके फालोअर अचानक से बढ़ जाते हैं। हर कोई यही सोचता है कि कोई मेैजिक स्टिक है उस प्रतियोगी के पास जो हमें उसे फालो करनें उसके हर पोस्ट को लाइक व शेयर करनें से मिल जायेगी।
मैं आपको सख्ती से मना करूंगा, ऐसा कदापि न करें। हर टापर का बैक ग्राउन्ड कार्य क्षेत्र दिनचर्या, पारिवारिक पृष्ठभूमिं अलग होती है। आप किसी प्रतियोगी का अंधानुकरण करके सफल कैसे होगें?
वैसे भी मैनें देखा है कि जब टापर अपनी सक्सेस स्टोरी डिस्कस करते है तो कई किताबो का जिक्र करते हैं जिसे उन्होनें खुद नही पढा
कई ऐसे रूल्स बताते है जिनका पालन उन्होनें खुद नही किया।
याद रखिए
आपके अंदर सफल होनें की आग अगर है तो रास्ता निकल आयेगा।
हर व्यक्ति दुनियां में यूनिक है, आप जैसा कोई नही। अपनी अच्छाई और बुराई से सिर्फ आप ही परिचित हैं. और उसमें सुधार भी बस आप ही कर सकतें हैं।अन्य कोई नहीं.
आप सबको सुनिय़े लेकिन सबको आदर्श मत मानिए।
आपको सफलता बस एक ही चीज से मिलेगी- वह है आपका लक्ष्य के प्रति समर्पण
नियम 5- आपकी हर पोस्ट को लाइक करनें वाला आपका शुभचिन्तक नही
मेरा अपना अनुभव है कि लोग आपको कुछ न कुछ पाने के लिए ही फालो व लाइक करते हैं. चाहे वह मनोरंजन ही क्यो न हो.. लेकिन जिस दिन आपको कठिन मुसीबत का सामना करना होगा, उस दिन आप सोसल मिडिया पर चाहे जो लिखें, आपकी मदद को कोई नही आयेगा। कुछ लोग तो बस आप क्या कर रहे है यह जाननें के लिए ही आपसे कनेक्ट होते हैं और आपकी पारिवारिक तस्वीर के सहारे आपके सोसल स्टेटस को जाननें मे लगे रहते है।
कभी कभी आपके पर्सनल व्यू से भी अच्छा खासा विवाद शुरू हो जाता है मैनें देखा है कि उसकी परिणिती सालों की मित्रता के टूटनें से होती है।
चलिए आपसे एक वाक्या शेयर करता हूं
1 जुलाई 2017 को जब जीएसटी लागू हुआ तो देश में एक व्यापक बहस छिडी कि जीएसटी क्या है यह आम जनता के हित में है या नही
मेरे कुछ मित्रो में भी इस बात को लेकर काफी बहस चल रही थी-
मैनें महसूस किया कि यह बहस जीएसटी पर आधारित न होकर पार्टी के समर्थन पर चली गयी थी। यह बहस एक स्वस्थ बहस नही थी. काफी दिनों तक मै इस पोस्ट से दूर रहा, एक सुबह देखा तो पता चला कि अब बहस बहस न होकर अभद्रता पर उतर आयी है. मैनें वहां पर एक कमेन्ट किया कि
मेरे दोस्तों.. पहले जरा मुझे यह समझा दो कि जीएसटी है क्या
दोनों पक्षो से इधर उधर की न्यूज की लिंक शेयर होनें लगी, जिससे कुछ भी स्पष्ट नही हो रहा था। यानी कि बहस मे शामिल लोगों को भी वास्तविकता व तथ्य ज्ञात नही थे।
क्या बहस सही थी?
क्या ऐसी बहस में शामिल होना चाहिए?
नही,, यह मात्र समय की बर्बादी है.
और अंत में–
आपको आपसे ज्यादा कोई नही जानता, आपके माता-पिता भी नही। आप बेहतर समझ सकते हैं कि आप का लक्ष्य क्या है, उसे प्राप्त करनें केलिए क्या करना चाहिए, कौन सा व्यक्ति आपकी मदद करेगा, कौन सिर्फ आपको डिमोटिवेट करेगा।
अपनी लक्ष्य प्राप्ति की बाधा को पहचान लिजीए, उसे दूर करिए अन्यथा आपको यह सत्य भी पता होगा.. कि
भारी से भारी जहाज को भी एक छोटा से छेद समुद्र मे डुबानें में सक्षम है।
आपकी जिन्दगी है उसे बेहतर सिर्फ और सिर्फ आप बना सकते हैं, अन्य कोई नहीं
इस लेख को शेयर करके दुनियां को और अधिक खूबसूरत बनानें में मदद कीजिए।
शेष अगले पोस्ट में..
Strongly agree sir…