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सोहन लाल द्विवेदी – जीवन परिचय

SOHANLAL DWIVEDI // SOHANLAL DWIVEDI BIOGRAPHY // SOHANLAL DWIVEDI JEEVAN PARICHAY

न्म – 1906 ई०                      
जन्म स्थान – बिन्दकी,फतेहपुर (उ०प्र०)
पिता – —–
मृत्यु – 1998 ई०

लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

राष्ट्र कवि की उपाधि से अलंकृत हिन्दी के प्रसिद्ध कवि सोहन लाल द्विवेदी का जन्म उ.प्र. के फतेहपुर जिले में बिन्दकी नामक ग्राम में हुआ था ! यह काफी संपन्न परिवार से थे, जिससे इनकी शिक्षा-दीक्षा में किसी भी प्रकार का व्यवधान प्रकट नहीं हुआ ! पं० बलदेव प्रसाद शुक्ल इनके मार्गदर्शक एवं साहित्यिक गुरु थे जिनकी छत्र-छाया में द्विवेदी जी ने हिन्दी साहित्य की अपनी लेखनी को मूर्त रूप दिया ! इनकी हाईस्कूल तक की शिक्षा फतेहपुर में ही संपन्न हुई, आगे की पढ़ाई के लिये ये वाराणसी चले आये और वाराणसी में स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से हिन्दी विषय में परास्नातक की उपाधि को धारण किये, अपने सरल स्वभाव के कारण ये पं० मदनमोहन मालवीय के काफी प्रिय छात्र बन गये थे ! इनके मार्गदर्शन में भी इन्होने अपने अध्ययन को तीव्र धार दिया, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में जब ये रहते थे तो उसी समय स्वतंत्रता आन्दोलन की आग भी देश में शोले की तरह धधक उठी, स्वतंत्रता आन्दोलन के नायक राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को ये अपना आदर्श मानते थे इन्ही के आदर्शो पर चलते हुये द्विवेदी जी ने स्वतंत्रता आन्दोलन में पूरी तनमयता से भाग लिया और कई बार ये जेल गये इस तरह से राष्ट्रभक्ति की भावना इनके अन्दर बढ़ती चली गयी जो एक ज्वालामुखी के रूप में इनके शरीर में स्थापित हो गयी ! सन 1937 ई० में लखनऊ से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “अधिकार” से इनकी बहुमुखी प्रतिभा देश के लोगों के बीच उभरकर आयी, सन 1941 ई० में देश भक्ति लबरेज इनकी रचना “भैरवी” आयी जो कि सभी देश प्रेमियों के मन में समा गयी, द्विवेदी जी कहते थे की अपने जीवन में कभी हार मत मानों बल्कि जीवन में आने वाले तमाम समस्याओं का डटकर सामना करो ! राष्ट्र के३ प्रति अपनी रचनाओं को न्यौछावर करने वाला यह राष्ट्रकवि 1988 ई० को स्वर्ग सिधार गया !

साहित्यिक परिचय

इनकी साहित्यिक रचना देश के किसानों की दशा, खादी का प्रचार और राष्ट्र भावना को जागृत करने पर आधारित है, अपनी रचनाओं के माध्यम से द्विवेदी जी ने नवयुवकों में जो उत्साह दिया वह बहुत बड़ी बात है कि जिससे युवाओं में राष्ट्रप्रेम की भावना का क्रियान्यवयन हुआ !

रचनायें –

कविता

          भैरवी, पुजागीत, चेतना, प्रभाती

बाल्य-कविता  

शिशु भारती, दूध-बताशा, बिगुल-बाँसुरी, झरना, बच्चों के बापू

प्रेम-गीत

वासंती

अन्य रचनायें

विषपान, वासवदत्ता, कुणाल इत्यादि !

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