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हिन्दी व्याकरण- और वाच्य के भेद

                                               

                           हिन्दी व्याकरण

वाच्य और वाच्य के भेद-
वाच्य-
परिभाषा-

वाच्य क्रिया का वह रूप है जिससे यह ज्ञात होता है कि वाक्य में कर्ता, कर्म या भाव में से किसकी प्रधानता है।

दूसरे शब्दों में-

 वाच्य क्रिया के उस रूपांतर को कहते हैं, जिसमें कर्ता, कर्म और भाव के अनुसार क्रिया के परिवर्तन ज्ञात होते हैं।

जैसे- विकास पुस्तक पढ़ता है।

पुस्तक पढ़ी जाती है।

मोहन से चला नहीं जाता है।

कर्ता प्रमुख वाक्य-

Ø  रवि विद्यालय जाता है।

Ø गरिमा पत्र लिखती है।

Ø वह जोर से हंसता है।

Ø चलो,चलें

कर्म प्रमुख वाक्य-

Ø राम के द्वारा पत्र लिखा जाता है.

Ø सीता के द्वारा भोजन पकाया जाता है.

भावप्रमुख वाक्य-

बच्चों से दौड़ा नहीं जाता है।

पंक्षियों से उड़ा नहीं जाता है।

वाच्य के भेद-

वाच्य तीन प्रकार के होते हैं।

1.    कर्तृवाच्य

2.    कर्मवाच्य

3.    भाववाच्य

1.    कर्तृवाच्य (Active Voice)-

जिस वाक्य में वाच्य बिन्दु कर्ता है, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं।

या दूसरे शब्दों में- जिस वाक्य में क्रिया कर्ता के अनुसार हो, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं।

जैसे- राम पत्र लिखता है।

गीता भोजन बनाती है।

उपर के वाक्यों में क्रियांए लिखता और बनाती  कर्ता राम और गीता के अनुसार हैं। अतह ये वाक्य कर्तृवाच्य हैं।

कर्मवाच्य (Passive Voice)-  अगर वाक्य में क्रिया कर्म के अनुसार है तो वहां कर्मवाच्य होता है।

जैसे- भोजन बनाया जाता है।

रामायण पढ़ी जाती है।

ऊपर के दोनों वाक्यों में भोजन और रामायण कर्म है जिनके अनुसार क्रियाएं है। अतह ये दोनों वाक्य कर्मवाच्य के उदाहरण हैं।

भाववाच्य (IMPORSONAL VOICE)- क्रिया के जिस रूप से वाक्य का उद्देश्य केवल भाव (क्रिया का अर्थ) ही जाना जाये वहां भाव वाच्य होता है।

दूसरे शब्दों मे-

जिस वाक्य में क्रिया कर्ता और कर्म को छोड़कर भाव के अनुसार हो, उसे भाववाच्य कहते हैं।

जैसे- उससे चला नहीं जाता है।

उससे सोया नहीं जाता है।

राम से लिखा नहीं जाता है।

वाच्य परिवर्तन-

1.   कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य मे-

Ø कर्ता के बाद- से के द्वारा या द्वारा जोड़ना चाहिए।

Ø क्रियापद में या प्रत्यय जोड़कर जा धातु को कर्म के लिंग तथा वचन के अनुसार प्रयोग करना चाहिए।

Ø कर्म के साथ लगी विभक्ति( कारक –चिन्ह) हटा देनीं चाहिए।

कर्तृवाच्य

कर्मवाच्य

रानीं चिठ्ठी पढ़ती है।

रानीं के द्वारा चिठ्ठी पढ़ी जाती है।

सीता फूल तोड़ती है।

सीता द्वारा फूल तोड़े जाते हैं।

सिपाही नें चोर को पकड़ा।

सिपाही द्वारा चोर पकड़ा जाता है।

कर्तृवाच्य से भाववाच्य में-

Ø भाववाच्य केवल अकर्मक क्रियाओं द्वारा बनाए जाते हैं।

Ø कर्ता के बाद से , द्वारा, के द्वारा परसर्ग जोड़े जाते हैं।

Ø जा धातु के क्रिया के रूपों को क्रिया के काल के अनुसार जोड़ा जाता है।

कर्तृवाच्य

भाववाच्य

मैं नहीं सोता।

मुझसे सोया नहीं जाता।

पंक्षी नहीं उड़ते हैं।

पंक्षियों से उड़ा नही जाता है।

बच्चे दोड़ नहीं पाते हैं।

बच्चों से दौड़ा नहीं जाता है।

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