R SI PRASAD BIOGRAPHY//AARSI PRASAD JIVAN PARICHAY//AARSI PRASAD JEEVAN PARICHAY
जन्म – 19 अगस्त 1911
जन्म स्थान – एरौत जिला समस्तीपुर (बिहार)
पिता —-
मृत्यु -15 नवम्बर 1996
लहरें उठती हैं गिरती हैं
नाविक तट पर पछताता है,
तब यौवन बढ़ता है आगे
निर्झर बढ़ता ही जाता है !!
भारत के प्रसिद्ध कवि, कथाकार आरसी प्रसाद सिंह का जन्म 19 अगस्त 1911 को बिहार के समस्तीपुर जिले में स्थित बागमती नदी के किनारे एक गाँव एरौत में हुआ था, यह गाँव महाकवि आरसी प्रसाद सिंह की जन्मभूमि और कर्मभूमि है इस प्रकार गाँव को आरसी नगर एरौत भी कहा जाता है !
आरसी प्रसाद सिंह जी अपनी शिक्षा पूर्ण करने के बाद से साहित्य लेखन की ओर आकृष्ट हुये अपनी रूचि एवं लेखन शैली से प्रभावित होकर रामवृक्ष बेनीपुरी ने इन्हें ”युवक” समाचार पत्र में अवसर प्रदान किया छायावाद में तृतीय उत्थान के कवियों में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले और साहित्य आकादमी पुरस्कार से इन्हें सम्मानित किया गया आरसी प्रसाद सिंह को जीवन और यौवन का कवि कहा जाता है ! इसी प्रकार प्रसाद सिंह जी को बिहार के सर्वश्रेष्ठ कवियों में गिना जाता है ! इसी प्रकार साहित्य से जुड़े रहने के आलावा ये राजनीतिक रूप में भी जागरूक एवं निर्भित व्यक्ति थे ! इन्होंने अपनी लेखन शैली में नेताओं पर टिप्पणी करने में कोई मौका नहीं छोड़ा नेताओं पर टिप्पणी करते हुए इन्होंने लिखा हैं कि “बरसाती मेढ़क से फुले, पीले-पीले गदराए
1956 से 1958 के बीच इन्होंने आकाशवाणी लखनऊ और इलाहाबाद में हिन्दी कार्यक्रमों में अधिकारी के रूप में अपनी सेवाए दी कुछ समय बीत जाने के बाद इन्होंने आकाशवाणी की नौकरी छोड़ दी और इन्होनें अपना सारा जीवन साहित्य के नाम कर दिया आरसी प्रसाद सिंह हिन्दी और मैथिली भाषा के ऐसे प्रमुख हस्ताक्षर थे जिनकी रचनाओं को पढ़ना हमेशा ही दिलचस्प रहा इस प्रकार महाकवि ने हिन्दी साहित्य में बालकाव्य, कथाकाव्य, महाकाव्य, गीतकाव्य रेडियो रूपक एवं कहानियों समेत कई रचनाएँ हिन्दी एवं मैथिली साहित्य को समर्पित की है 15 नवम्बर 1996 ई० में मरते दम तक यह साहित्य प्रेमी काव्य साधना में लीन रहा !
साहित्यिक परिचय
निर्भीक होकर अपनी रचनाओं का सृजन करने वाले आरसी जी हिंदी साहित्य के महान कवियों में अपना स्थान रखते हैं, इनकी रचनाओं में कटाक्ष का प्रयोग सर्वाधिक मिलता है वो भी नेताओं के ऊपर ! इनकी रचनाओं में निर्झर मस्ती का समावेश मिलता है !
रचनायें
माटिक दीप , पूजा का फुल, सूर्यमुखी ,कागज की नाव, अनमोल वचन