जन्म– 1889 ई० ( गुरुवार 30 जनवरी )
जन्म स्थान – काशी ( वाराणसी उ०प्र० )
पिता – बाबू देवीप्रसाद
मृत्यु – 1937 ई०
जयशंकर प्रसाद का जन्म काशी (वाराणसी) के एक प्रतिष्टित वैश्य परिवार में हुआ था , इनके पिता बाबू देवीप्रसाद जी थे ! जो कि तम्बाखू के एक प्रशिद्ध व्यापारी थे, इनके बाल्यावस्था में ही इनके पिता की अचानक मृत्यु हो गई तथा पिता की मृत्यु हो जाने के कारण इनका अध्ययनशील जीवन काफी प्रभावित हुआ और इनकी ज्यादातर शिक्षा घर पर ही संपन्न हुयी, घर पर ही इन्होने हिन्दी,संस्कृत,उर्दू ,अंग्रेजी,फारसी भाषाओ का गहन अध्ययन किया ! ये बड़े सरल एवं मिलनसार स्वभाव के व्यक्ति थे, अपने सरल स्वभाव उदार प्रकृति एवं दानशीलता के वजह से ये बहुत ऋणी हो गये, इन्होंने अपने पारिवारिक व्यवसाय की तरफ थोड़ा सा भी ध्यान नहीं दिया जिसके कारण इनका व्यवसाय भी बहुत प्रभावित हुआ !
बचपन से ही इनकी रूचि काव्य में थी, जो समय के साथ आगे बढ़ती गई ये अपने मृदुल स्वभाव के वजह से पुरस्कार के रूप में मिलने वाली राशि नहीं लेते थे, जिससे इनका सम्पूर्ण जीवन दु:खो में बिता और सन 1937 ई० को अल्पावस्था में ही क्षयरोग के कारण इनकी मृत्यु हो गई !
Table of Contents
साहित्यिक परिचय –
प्रसाद जी छायावाद के प्रवर्तक,उन्नायक कवि के साथ – साथ प्रसिद्ध नाटककार,उपन्यासकार तथा कथाकार भी थे इनके रचनाओ में प्रेम और सौन्दर्य का उल्लेख बहुत बड़े स्तर से मिलता है, इनकी रचनाये मानवीय रूप से जुड़ी हुई है !
रचनाये –
इनकी बहुत सी रचनाये है तथा ये भाषाओ के पंडित कहे जाते है इन्होने उपन्यास,नाटक,कहानी,निबंध इत्यादि साहित्यिक क्षेत्र में अपना योगदान दिया,इन्होने अपने लेखन शैली के माध्यम से अपनी समस्त रचनाओ का बहुत ही सुन्दर श्रृंगार किया !
कामायनी –
प्रसाद जी की यह सबसे प्रसिद्ध रचना है इसमें इन्होने मनुष्य को श्रद्धा एवं मनु के माध्यम से ह्रदय एवं ज्ञान के समन्वय का सन्देश दिया है ! इनकी इस रचना पर इन्हे मंगलाप्रसाद पारितोषिक सम्मान मिला !
आंसू –
यह इनके दुखों से भरी कहानी पर उधृत रचना है जैसा की इसके नाम से स्पष्ट है कि इसमें वियोग रस का समावेश है !
लहर –
मन के भावों को प्रकट करती हुई तथा लक्ष्य पर बने रहने की प्रेरणा हमें इससे प्राप्त होती है !
कहानी –
आकाशदीप,इंद्रजाल,प्रतिध्वनि,आंधी !
उपन्यास –
कंकाल,तितली,इरावती(अपूर्ण)