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दूधनाथ सिंह – जीवन परिचय

Dudhnath Singh Biography

जन्म – 17 अक्टूबर 1936 ई०

जन्म स्थान – सोबंथा गाँव (बलिया)

पिता – देवकी नंदन सिंह

मृत्यु – 11 जनवरी 2018

 

हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध आलोचक तथा कहानीकार दूधनाथ सिंह का जन्म 17 अक्टूबर 1936 ई० को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के सोबंथा नामक गाँव में हुआ था, इनके पिता देवकीनंदन सिंह एक साधारण किसान थे, जो कि कृषि कार्य के माध्यम से परिवार का भरण पोषण करते थे, बाल्यकाल से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी दूधनाथ सिंह की प्रारम्भिक शिक्षा इनके बगल के गाँव नरही में स्थित प्राथमिक विद्यालय पर सम्पन्न हुई पढाई में इनकी रूचि इतनी अधिक थी की ये कहीं पर भी पढ़ने के लिये चले जाते थे, इन्होने अपनी हाईस्कुल और इन्टरमीडिएट की शिक्षा चितबड़ा गाँव में स्थित मर्चेंट इंटर कालेज से संपन्न हुई, स्नातक के लिये इन्होने अपना प्रवेश बलिया शहर के सतीशचन्द्र कालेज में लिया और यहीं स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के उपरान्त वापस अपने गाँव चले आये और कुछ ही दिनों के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी से परास्नातक की उपाधि प्राप्त करके कलकत्ता विश्वविद्यालय में अध्यापन का कार्य करने लगे और कुछ ह दिनों के बाद वापस इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्राध्यापक के पद सुशोभित किया ! अध्यापन के कार्य के साथ-साथ ये कई प्रकार की प्रख्यात रचनाओं का सृजन करने लगे इन्होने सर्वाधिक साठोत्तरी  कहानी को सूत्रपात किया है ! हिंदी साहित्य के उन लेखकों के मध्य इनका नाम आता है जिन्होंने नई कहानी के लेखकों को चुनौती दिया !

ये चार यार थे जो हिंदी में काफी विख्यात थे इनमें ज्ञानरंजन, काशीनाथ सिंह, दूधनाथ सिंह और रविन्द्र कालिया थे जिन्होंने हिन्दी लेखन को एक नई धार दी !

हिंदी के विख्यात लेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला, सुमित्रानंदन पन्त, और महादेवी वर्मा के बहुत प्रिय थे, इन्होने राष्ट्रीय आन्दोलन में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया ये विभिन्न साहित्यिक मंच से जुड़े हुये थे, “जनवादी लेखक संघ” के अध्यक्ष के रूप में इन्होने अपने दायित्व का निर्वहन किया, जनसंस्कृति मंच और प्रगतिशील लेखक संघ के पदाधिकारी पद को भी दूधनाथ सिंह ने सुशोभित किया, हिन्दी साहित्य का यह महान आलोचक,कहानीकार कैन्सर की गंभीर बीमारी से निरंतर एक वर्ष को लड़ते हुये 11 जनवरी 2018 को इलाहाबाद में परलोकवासी हो गया !

साहित्यिक परिचय

सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों से परिलक्षित दूधनाथ सिंह की प्रत्येक साहित्यिक रचना समाज को बहुत बड़ी सीख देती है इनकी कहानी लोगों से जुड़ी हुई चिंतन के मुद्दों को प्रकाशित करती है, आलोचना की दिशा में भी इनकी पराकाष्ठा काफी चर्चित है !

रचनायें

नाटक

यम गाथा,

उपन्यास

          आखिरी कलाम, निष्कासन, नमो अन्धकारम

कहानी

सपाट चेहरे वाला आदमी, सुखान्त, प्रेमकथा का अंत न कोई, माई का शोकगीत इत्यादि !

आलोचना

           निराला: आत्महंता, आस्था, महादेवी, मुक्तिबोध

कविता संग्रह

          युवा खुशबु, एक और भी आदमी, सुरंग से लौटते हुये

संस्मरण

         साक्षात्कार : कहा सुनी, लौट आ ओ धार

सम्पादन

          तारापथ, एक शमशेर भी, पक्षधर

सम्मान एवं पुरस्कार

शरद जोशी स्मृति सम्मान, कथाक्रम सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान, भारत-भारती सम्मान,                      

            भारतेंदु सम्मान

 

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