MAHAKAVI BHUSHAN BIOGRAPHY//BHUSHAN JIVAN PARICHAY//JEEVAN PARICHAY MAHAKAVI BHUSHAN
जन्म – 1613 ई०
जन्म स्थान – तिकवॉपुर, कानपुर
पिता – रत्नाकर त्रिपाठी
मृत्यु – 1711 ई०
दौलत दिल्ली की पाय कहाये आलमगीर
बब्बर अकबर के बिरद बिसारे तैं
तेजस्वी और राष्ट्रीयता से कूट –कूट कर अपनी रचनाओं को रचित करने वाले महाकवि भूषण का जन्म 1613 ई० में कानपूर के टिकवॉपुर में हुआ था, इनके पिता पं० रत्नाकर त्रिपाठी मां दुर्गा के परम भक्त थे, जो माता की आराधना में सदैव लीन रहा करते थे, भूषण की कवि उपाधि इन्हें चित्रकूट के सोंलकी महाराजा रूद्र के द्वारा प्रदान की गयी थी, इनका सही नाम पतिराम था ! इनका प्रारम्भिक जीवन बहुत ही अकर्मण्यता से ग्रसित था, कहा जाता की अपने उपर ऐसा प्रभाव पड़ा की ये अपना घर परिवार छोड़कर चले गये, लम्बें समय के बाद इन्होंने जब घर वापसी किया तो ये अपने अन्दर पाण्डित्य और कवित्व का अपार ज्ञान अर्जित किये हुये थे ! ज्ञान और आश्रम की खोज में ये बहुत घुमे, किन्तु इन्हें मानसिक प्रसन्नता और शांति शिवाजी और छत्रसाल के दरबारों में मिली इनके बारे में जो भी साक्ष्य मिले हैं वे आज भी संदिग्ध हैं, ये मूलरूप से काव्य कुब्ज ब्राह्मण थे !
भूषण भी अपने समकालीन कवियों की तरह विलासी आश्रयदाताओं के मनोरंजन के लिए श्रृंगार काव्य की रचना न कर अपनी वीरोपासक मनोवृति के अनुकूल अन्याय और संघर्ष के दमन में तत्पर थे !
साहित्यिक रचनायें
अपनी रचनाओं में भूषण ने प्रधानतया वीर रस को सम्मिलित किया हैं, इन्होंने वीर नायकों की ओजस्वी कविता का गुणगान किया, इनकी रचनाओं में दृश्य रचना काफी श्रेष्ट हैं , दृश्य रचनाओं में इन्होंने युद्ध के दृश्य को बखुबी चित्रित किया है !
रचनाएँ
शिवराज भूषण, शिवाबावनी, छत्रसाल दशक