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माखन लाल चतुर्वेदी – जीवन परिचय

MAKHANKLAL CHATURVEDI BIOGRAPHY//MAKHANLAL CHATURVEDI JEEVAN PARICHAY//MAKHANLAL CHATURVEDI JIVAN PARICHAY//माखनलाल चतुर्वेदी

जन्म – 4 अप्रैल 1888
जन्म स्थान – बाबई, होशंगाबाद (म०प्र०)
पिता – नन्दलाल  चतुर्वेदी
मृत्यु – 30 जनवरी 1938

 

चाह नहीं में सुरबाला के, गहनों में गुंथा जाऊं

चाह नहीं प्रेमी माला में, बिंधप्यारी को ललचाऊं

चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊं

चाह नहीं देवो के सिर पर, चढू भाग्य पर इठलाऊँ

मुझे तोड़ लेना वनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक

मातृ भूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ जावें वीर अनेक

साहित्य जगत के प्रखर लेखक माखन लाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1888 ई० को बाबई, होशंगाबाद(मध्य प्रदेश) में हुआ था, इनके पिता का नाम नन्दलाल चतुर्वेदी था ये अपने ग्राम सभा में स्थित प्राथमिक विघालय में ही अध्यापन का कार्य करते थे, माखन लाल की प्रारंभिक शिक्षा गाँव में हुयी और स्वाध्याय के द्वारा ही इन्होंने घर पर संस्कृत, बंगला, अंग्रेज़ी गुजराती आदि भाषाओँ का अच्छा ज्ञान अर्जित कर लिया, इनके समय में देश के लोगों के बीच में स्वतत्रंता को लेकर काफी उतार चढ़ाव का माहौल बना था, और देश में कई राष्ट्रीय आन्दोलन के संगठन बगावत के लिए तैयार थे, उसी समय चतुर्वेदी जी तत्कालीन राष्ट्रीय आन्दोलन से प्रभावित होकर महात्मा गांधी के सत्याग्रह  के अमोध अस्त्र को सफल बनाने में लग गये, सामाजिक सुधार की दिशा में इन्होंने अपना कदम आगे बढ़ाया जिसमें सर्वप्रथम माधवराव सप्रे के “हिन्दी केसरी” में सन 1908 में “राष्ट्रीय आन्दोलन और बहिष्कार” विषय निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया , साहित्य के प्रति इनकी रचनाओं का धीरे-धीरे सम्मिश्रण आरम्भ हो चुका था, एक राष्ट्रभक्त होने के साथ-साथ चतुर्वेदी जी एक कुशल अध्यापक भी थे जो कि इनके सक्षम एवं सुव्यवस्थित कार्य शैली को प्रतिबिम्बित करता है !

सन 1913 ई० में इन्होंने अध्यापक की नौकरी छोड़ कर पूर्ण रूप से पत्रकारिता, साहित्य और राष्ट्र की सेवा में लग गयें लोकमान्य तिलक के उद्घोष “स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है” को ये बहुत ही कर्मठता से अपने राष्ट्रीय आन्दोलन में उतार लिए थे ! चतुर्वेदी जी ने खंडवा से प्रकाशित मासिक पत्रिका “प्रभा” का संपादन किया, इन्होंने  अपने राष्ट्रीय आन्दोलन में महात्मा गांधी के द्वारा आहूत सन 1920 के “असहयोग आन्दोलन” में महाकोशल अंचल से पहली गिरफ्तारी इन्हीं की थी ! इसी तरह 1930 के सविनय अवज्ञा आन्दोलन में भी गिरफ्तारी देने का प्रथम सम्मान इन्ही को मिला ! राष्ट्र के प्रति समर्पित यह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी 30 जनवरी 1938 ई० को परलोक वासी हो गया

 

साहित्यक परिचय

चतुर्वेदी जी की सर्वाधिक रचनाओं में राष्ट्र के प्रति राष्ट्र प्रेम का भावना उल्लखित है प्रारम्भ में इनकी रचनाएँ भक्तिमय और आस्था से जुडी हुयी थी किन्तु राष्ट्रीय आंदोलन और स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सेदारी के बाद इन्होंने  अपनी रचनाओं को राष्ट्र  के प्रति समर्पित करना आरम्भ कर दिया !

 

रचनाएँ  –

हिमकिरीटीनी, हिम तरंगिणी, युग चर, समर्पण, मरण ज्वार, माता, रेणु लो गूंजे धरा, बीजुरी, काजल, आँज, साहित्य के देवता, समय के पाँव, अमीर इरादे-गरीब इरादे, कृष्णार्जुन युद्ध इत्यादि !

  

पुरस्कार व सम्मान

1943 ई० में देव पुरस्कार (उस दौर का हिन्दी साहित्य का सबसे बड़ा पुरस्कार) 1963 में भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण ( 10 सितम्बर 1967 ई० को राष्ट्र भाषा हिन्दी पर आधात करने वाले राजभाषा संविधान संशोधन विधेयक के विरोध में माखनलाल जी ने यह अलंकरण लौटा दिया)

1955 ई० में साहित्य अकादमी पुरस्कार

भोपाल का माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय इन्हीं के नाम पर स्थापित किया गया !

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