बाल विकास से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्नों का सेट उपलब्ध करा रहें हैं , जो की आगामी शिक्षक भर्ती परीक्षाओं में पूंछे जायेंगें, अतः आप सभी अपनी परीक्षा की तैयारी को और सुगम बनाने के लिये इन प्रश्नों का अध्ययन अवश्य करें
Imp. CTET, UPTET, RTET, KTET,MPTET, BIHAR TET, UKTET etc
बालक के सामजिक विकास में परिवार का आयोजन
- परिवार ही वह स्थान है, जहाँ सबसे पहले बालक का समाजीकरण होता है ! परिवार के बड़े लोहों का जैसा आचरण और व्यवहार होता है, बालक भी वैसा ही आचरण और व्यवहार करने का प्रयत्न करता है
- बालक के परिवार की सामाजिक स्थिति भी बालक के सामाजिक विकास को प्रभावित करती है !
मित्र
- बालक के कार्यों में उसका सहयोग करने वाला अथवा उसके साथ खेलने वाला बालक उसका मित्र कहलाता है !
- बालक को भी अपने साथ खेलने एवं अन्य कार्य संपन्न करने के लिए एक मिटे की आवश्यकता पड़ती है !
- बबालक का एक अच्छा मित्र उसे कुसंग से बचाना है, विपति के समय उसकी सहायता करता है तथा दुःख के समय से सान्त्वना एवं सहानभूति देता है ! अच्छे मित्रों के कारण बालक के जीवन की राह आसान हो जाती है !
- यह आवश्यक नहीं कि समुदाय के सभी बालकों के साथ बालक के सम्बन्ध अच्छे हो ! जिन बालकों के साथ बालक का सम्बन्ध अच्छा होता है एवं जिनके साथ वह रहना, कार्य करना एवं खेलना पसन्द करता है !
- मित्रता एक ऐसा रिश्ता है, जो अन्य रिश्तों की भांति थोपा नहीं जा सकता ! अपनी सुविधा एवं रूचि के अनुसार देख-परख कर मित्र चुनने की स्वतंत्रता होती है ! यह एक ऐसा बन्धन होता है, जो लोगों के मनों को जोड़ता है और इसी के आधार पर वे एक-दूसरे के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते है !
कार्य एवं खेल
- स्कूल में रहते हुए बालक को जहाँ एक और विभिन्न विषयों की प्रत्यक्ष शिक्षा द्वारा सामाजिक नियमों रीति-रिवाजों, मान्यताओं विश्वासों तथा आदर्शो एवं मूल्यों का ज्ञान होता है वही दूसरी और उसमें स्कूल की विभिन्न सामाजिक योजनायें में सक्रीय रूप से भाग लेते हुए अप्रत्यक्ष रूप से विभन्न सामाजिक गुणों का विकास होता है !
- बालक समाज में रहते हुए विभिन्न प्रकार के कार्य करता है एवं खेल-कूद में स्वयं को व्यस्त रखता है ! इस कार्य में उसे उसकी आयु के पारिवारिक सदस्यों, जैसे भाई-बहन इत्यादि का सहयोग प्राप्त होता है !
- शिक्षा प्राप्त करने के लिए बालक विद्यालय में जाता है ! विद्यालय में विभिन्न परिवारों के बालक शिक्षा प्राप्त करने आते हैं ! बालक इन विभिन्न परिवारों के बालक तथा शिक्षकों के बिच रहते हुए सामाजिक प्रतिक्रिया करता है, जिससे उसका सामाजिकरण तीव्र गाति से होने लगता है !
- खेल-कूद से व्यक्ति का शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक मनोरंजन भी होता है !
रिश्ते-नाते
- बालक-अपने परिवार में रहते हुए परिवार के सदस्यों एवं रिश्तेदारों से प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से अपने परिवार के आदर्शों, मूल्यों, रीति-रिवाजों, परम्पराओं तथा मान्यताओं एवं विश्वासों को भी शनै: शनै: सीख जाता है !
- यह आवश्यक नहीं कि प्रत्येक बालक के परिवार में चाचा-चाची, बुआ-फूफा, जैसे रिश्तेदार विद्यमान हों, कक्षा में मौजूद बच्चों के परिवारों में विविधता से शिक्षक बालकों को इसके बारे में विभिन्न प्रकार की जानकारियां उपलब्ध करा सकता है !
- बालक के सभी रिश्तेदार का उसके व्यक्तित्व एवं विकास पर प्रभाव पड़ता है, किन्तु परिवार के प्रमुख सदस्यों का उस पर विशेष प्रभाव पड़ता है ! जैसे-जैसे बालक बड़ा होता है, वैसे-वैसे वह अपने माता-पिता, भाई-बहनों तथा परिवार के अन्य सदस्यों के संपर्क में आते हुए प्रेम, सहानुभूति, सहनशीलता तथा सहयोग आदि अनेक सामाजिक गुणों को सिखाता रहता है !
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