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Child Devolpment Important Theory for CTET,UPTET,UKTET,RTET,PTET,BIHAR TET

September 30, 2018 By Team StudywithGyanPrakash

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Table of Contents

  • Child Devolpment  Important Theory
  • Important Theory Click here
  • Child Devolpment  Important Theory    – 1     Click here
  • Child Devolpment  Important  Questions Set – 6  Click here
  • Child Devolpment  Important  Questions Set – 5    Click here
  • Child Devolpment 15 Important Questions Set – 4  Click here
  • Child Devolpment 15 Important Questions Set -3   Click here
  • Child Devolpment 15 Important Questions Set -2    Click here
  • Child Devolpment 15 Important Questions Set -1   Click hrer

Child Devolpment  Important Theory

बाल विकास से सम्बन्धित  महत्वपूर्ण  सिध्दान्त उपलब्ध  करा रहें हैं , जो की आगामी शिक्षक भर्ती परीक्षाओं में पूंछे जायेंगें, अतः आप सभी अपनी परीक्षा की तैयारी को और सुगम बनाने के लिये इन प्रश्नों का अध्ययन अवश्य करें !

Imp. CTET, UPTET, RTET, KTET,MPTET, BIHAR TET, UKTET etc

वाइगोत्स्की के सामाजिक विकास का सिध्दान्त 

  • बाल्यावस्था में प्रवेश करने के साथ-साथ अधिकाशं बच्चे विद्यालय में जाना प्रारम्भ कर देते है और अब उनका सामजिक दायरा  बहुत विस्तृत बनता चला जाता है !
  • बाल्यावस्था के बाद किशोरावस्था में लिंग सम्बन्धी चेतना तीव्र हो जाती है ! इस आयु में अधिकतर किशोर और किशोरियाँ अपने वय-समूह के सक्रीय सदस्य होते है !
  • समूह के प्रति भावना  अब केवल टोली या गिरोह विशेष तक ही समित नहीं रहती बल्कि यह विद्यालय,समुदाय,प्रान्त और राष्ट्र तक व्यापक बन जाती है ! सहानभूति, सहयोग, सद्भावना, परोपकार और त्याग का अद्भुत सामन्जस्य इस अवस्था में देखने को मिलता है !
  • सोवियत रूस के मनोवैज्ञानिक लेव वाइगोत्स्की ने बालकों में सामाजिक विकास से सम्बंधित एक सिध्दान्त का प्रतिपादन किया ! इस सिध्दान्त में उन्होंने बताया कि बालक में हर प्रकार के विकास में उसके समाज का विशेष योगदान होता है !
  • वाइगोत्स्की ने बताया कि समाज से अन्त:क्रिया के फलस्वरूप ही उसमें विभिन्न प्रकार का विकास होता है ! समाज में उसे जी प्रकार की सुविधाए उपलब्ध होंगी, उसका विकास भी उसी प्रकार का होगा ! यदि उसे सभी प्रकार की सुविधाए उपलब्ध नहीं होगी, तो इसका उसके विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पडेगा !
  • जन्म के समय शिशु का व्यवहार सामाजिकता से काफी दूर होता है ! वह अत्यधिक स्वार्थी होता है ! उसे केवल अपनी शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने की ललक होती है तथा दूसरों के हित चिन्तन की वह कुछ भी परवाह नहीं करता वह इस आयु में गुड्डे –गुड्डियों, खिलौने, मूर्ति, आदि निर्जीव प्रदार्थों तथा पशु-पक्षी, मनुष्य आदि सजीव प्राणियों में कोई अन्तर नहीं समझ पाता !
  • शिशु के सामाजिक सम्पर्क का दायरा  बहुत ही सीमित होता है ! अतः सामाजिक विकास के दृष्टीकोण से उनसे बहुत आशा नहीं की जा सकती !
  • किशोरावस्था में वैयक्तिक  विशेषताओ के अतिरिक्त संस्कृति, परिवार की सामाजिक और आर्थिक स्थिति, यौन सम्बन्धी स्वतंत्रता और जानकारी इत्यादि उनकी सामाजिक रुचियों और सामाजिक सम्बन्धो को प्रभावित करती है !

Important Theory Click here

जीन पियाजे के विकास की अवस्थाओं का सिध्दान्त

  • जीन पियाजे स्विट्जरलैंड के एक मनोवैज्ञानिक थे ! बालकों में बुध्दि का विकास किस ढंग से होता है यह जानने के लिए उन्होंने अपने स्वयं के बच्चों को अपनी खोज का विषय बनाया ! बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते गए, उनके मानसिक विकास सम्बन्धी क्रियाओं का वे बड़ीं बारीकी से अध्ययन करते रहे ! इस अध्ययन के परिणामस्वरूप उन्होंने जिन विचारों का प्रतिपादन किया उन्हें  पियाजे के मानसिक या संज्ञानात्मक विकास के सिध्दान्त के नाम से जाना जाता है !
  • पियाजे के संज्ञानात्मक सिध्दान्त के अनुसार, वह प्रक्रिया जिसके द्वारा संज्ञानात्मक संरचना को संशोधित किया जाता है, समावेशन कहलाती है !
  • पियाजे ने अपने इस सिध्दान्त के अतर्गत यह बात सामने रखी की बच्चों में बुध्दि का विकास उनके जन्म के साथ जुड़ा हुआ है ! प्रत्येक बालक अपने जन्म के समय कुछ जन्मजात प्रवृतियों एवं सहज क्रियाओं को करने सम्बन्धी योग्यताओं जैसे चूसना, देखना, वस्तुओं को पकड़ना, अतः जन्म के समय बालक के पास बौध्दिक संरचना के रूप में इसी प्रकार की क्रियाओं को करने की क्षमता होती है, परन्तु जैसे-जैसे वह बड़ा होता है उन बौध्दिक क्रियाओं का दायरा बढ़ जाता है और वह बुध्दिमान बनता चला जाता है !
  • संज्ञानात्मक विकास का तात्पर्य बच्चों के सीखने और सूचनाएं एकत्रित करने के तरीके से है ! इसमें अवधान में वृध्दि प्रत्याक्षीकरण, भाषा, चिन्तन, स्मरण शक्ति और तर्क शामिल है !

निर्माण और खोज का सिध्दान्त

  • प्रत्येक बालक अपने अनुभवों को अर्थपूर्ण बनाने के लिये क्रियाशील होता है ! वह यह जानने के लिये प्रयत्नशील होता है कि उसके विचार सम्बध्दतापूर्वक मेल खाते और या नहीं ! बच्चे उन व्यवहारों और विचारों का उन्होंने कभी पहले [प्रत्यक्ष नहीं किया होता है

Child Devolpment  Important Theory    – 1     Click here

Child Devolpment  Important  Questions Set – 6  Click here

Child Devolpment  Important  Questions Set – 5    Click here

Child Devolpment 15 Important Questions Set – 4  Click here

Child Devolpment 15 Important Questions Set -3   Click here

Child Devolpment 15 Important Questions Set -2    Click here

Child Devolpment 15 Important Questions Set -1   Click hrer

 

अन्य किसी भी जानकारी के लिये हमारी वेबसाइट www.studywithgyanprakash.com पर Visit करें !

 

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Filed Under: BASIC, Latest, SHIKSHA MITRA, Study Material, UPTET Tagged With: BIHAR TET, CTET, KTET, MPTET, RTET, UKTET etc, UPTET

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  1. Child Devolpment Important Questions for CTET,UPTET,UKTET,RTET,PTET,BIHAR TET - StudywithGyanPrakash says:
    October 1, 2018 at 8:24 am

    […] CTET, UPTET, RTET, KTET,MPTET, BIHAR TET, […]

  2. Child Devolpment Important Questions for CTET,UPTET,UKTET,RTET,PTET,BIHAR TET - StudywithGyanPrakash says:
    October 5, 2018 at 8:39 am

    […] Imp. CTET, UPTET, RTET, KTET,MPTET, BIHAR TET, UKTET etc […]

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