Global Climate Risk Index 2021 ।
वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक 2021
नीदरलैंड में शुरू हुए वैश्विक अनुकूलन शिखर सम्मेलन (Global Adaptation Summit 2021) से पहले Global Climate Risk Index 2021 रिपोर्ट को जारी किया गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक साल 2000 से 2019 के बीच जलवायु परिवर्तन (Climate Change) और मौसम से जुड़ी 11,000 भयानक घटनाओं के कारण करीब 4,75,000 से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई और लगभग 2.56 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ.
वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक-2021 के अनुसार, 2019 में जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित देशों में भारत सातवें स्थान पर है
क्या है वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक?
Global Climate Risk Index?
- वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक हाल ही में जर्मनी के बॉन में स्थित जर्मनवाच नामक एक एनजीओ द्वारा जारी किया गया।
- वार्षिक रूप से प्रकाशित होने वाले वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक में मौसम से संबंधी घटनाओं जैसे तूफान, बाढ़, ताप लहरें आदि के प्रभाव को कम करने में विभिन्न देशों की क्षमताओं का विश्लेषण किया जाता है।
- इसके अंतर्गत घातक मानवीय प्रभावों और प्रत्यक्ष आर्थिक नुकसान का विश्लेषण किया जाता है।
इस सूची में मोजाम्बिक, जिम्बाब्वे, बहामास, जापान, मलावी और अफगानिस्तान, भारत से पहले के स्थानों पर यथाक्रम मौजूद हैं.
2019 की घटनाओं के आधार पर भारत को सातवां स्थान प्राप्त हुआ है.
20 सालों की बात करें तो पोर्टो रीको, म्यांमार और हैती ऐसे देश हैं जो जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं.
- 2021 में जारी सूचकांक, वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक का 16वां अंक है। इसने वर्ष 2019 और 2000-2019 के दशक के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है।
- 2019 में सबसे अधिक प्रभावित देश/क्षेत्र मोजाम्बिक, जिम्बाब्वे और बहामास रहे, जबकि 2000-2019 के पूरे दशक में सर्वाधिक जोखिम का सामना प्यूर्टो रिको, म्यांमार और हैती ने किया है।
वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक-2021 में भारत की स्थिति-
- वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक-2021 में भारत 7वें स्थान पर है, जबकि वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक-2020 में भारत 5वें स्थान पर था। इस वर्ष भारत ने अपनी स्थिति में 2 पायदान का सुधार किया था।
- इस रिपोर्ट के अनुसार 2019 में, भारत में मानसून सामान्य अवधि से एक माह अधिक तक जारी रहा, जून से सितंबर के अंत तक औसत अवधि लगभग 110% दर्ज की गयी।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिक वर्षा के कारण आने वाली बाढ़ के कारण लगभग 1800 लोगों की मृत्यु हुई और लगभग 1.8 मिलियन लोगों को पलायन करना पड़ा।
- इस दौरान भारत में आठ उष्णकटिबंधीय चक्रवात आए जिसमें से छह “बहुत गंभीर” प्रकृति के थे।
- “अति गंभीर” चक्रवात फानी से 28 मिलियन लोग प्रभावित हुये और इसके कारण भारत और बांग्लादेश में 90 लोग मारे गए तथा 8.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की आर्थिक हानि हुई।