क्या होता है ब्लैक होल (Black Hole)?
- ब्लैक होल की पहली तस्वीरें जारी करते हुए गोथ यूनिवर्सिटी फ्रैंकफर्ट की लुसिआनो रेजोला ने कहा कि बेहद साधारण भाषा में कहा जाए तो यह ऐसा गड्ढा है, जिसे भरा नहीं जा सकता है।
- सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत के अनुसार, ब्लैक होल ऐसी खगोलीय वस्तु होती है जिसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र इतना शक्तिशाली होता है कि प्रकाश सहित कुछ भी इसके खिंचाव से बच नहीं सकता। इसे ब्लैक होल इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को अवशोषित कर लेता है और कुछ भी रिफ्लेक्ट (प्रतिबिंबित) नहीं करता।
- सबसे पहले Black Holes के बारे में Einstein थॉयरी ऑफ रिलेटिविटी लेकर आए थे। हालांकि, खुद Einstein भी इसे लेकर उलझन में थे की इनका अस्तित्व है या नहीं। इसके बाद से ही खगोल वैज्ञानिकों ने इसके बारे में खोज करना शुरू कर दिया।
- ब्रिटिश वैज्ञानिक स्टिफन हाकिंग ने 1974 में पहली बार ब्लैकहोल से निकलने वाली हॉकिंग रेडिएशन की परिकल्पना की थी। हाकिंग की पिछले साल ही मौत हो गई थी। वहीं 1915 में जर्मन वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टिन ने सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत दिया था, इस सिद्धांत के तहत ब्लैकहोल की गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी अधिक होती है कि यह आसपास की सभी चीजों को अपने अंदर खींच लेगा।वहीं आइंस्टिन के इस सिद्धांत से ब्लैकहोल के बारे में जानने में बेहद मदद मिली। इससे पहले बताया गया था कि गुरुत्वाकर्षण प्रकाश की गति को प्रभावित करता है।
- जब किसी बड़े तारे का पूरा का पूरा ईंधन जल जाता है तो उसमें एक ज़बरदस्त विस्फोट होता है जिसे सुपरनोवा कहते हैं। विस्फोट के बाद जो पदार्थ बचता है वह धीरे धीरे सिमटना शुरू होता है और बहुत ही घने पिंड का रूप ले लेता है जिसे न्यूट्रॉन स्टारकहते हैं। अगर न्यूट्रॉन स्टार बहुत विशाल है तो गुरुत्वाकर्षण का दबाव इतना होगा कि वह अपने ही बोझ से सिमटता चला जाएगा और इतना घना हो जाएगा कि ब्लैक होल बन जाएगा और श्याम विवर, कृष्ण गर्त या ब्लैक होल के रूप में दिखाई देगा।
कैसे हुई इस ब्लैक होल (Black Hole) की तस्वीर हमें प्राप्त
- ये तस्वीर इवेंट हॉरिज़न टेलिस्कोप से ली गई है जो आठ टेलिस्कोप का एक नेटवर्क है.
- इस प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिक प्रोफ़ेसर हेनियो फ़ैल्के ने बीबीसी को बताया कि ब्लैक होल एम87 गैलेक्सी में पाया गया है.
- ये हमारे सोलर सिस्टम से भी बड़ा है और वज़न में सूर्य से 650 करोड़ से ज़्यादा भारी है. ये ब्रह्मांड में मौजूद सबसे बड़ा ब्लैक होल है.
- इस तस्वीर में ब्लैक होल के चारों ओर आग का एक गोला नज़र आ रहा है. प्रोफ़ेसर फ़ैल्के इसके बारे में बात करते हुए कहते हैं कि ये बेहद गरम गैसें हैं जो इस ब्लैक होल में जाकर गिरती हैं.
- ब्रह्मांड के करोड़ों तारों को मिलाकर जितनी रौशनी होगी यह ब्लैक होल उससे भी ज़्यादा चमकदार है. इसीलिए इसे इतनी दूरी होने का बावजूद टेलीस्कोप के ज़रिए देखा जा सका.
- नाम के उलट ये क्षेत्र खाली नहीं होता बल्कि इसमें कई तरह के पदार्थ होते हैं जो इस इसके क्षेत्रफ़ल को बहुत ज़्यादा गुरुत्वाकर्षण बल देते हैं.
- ब्लैक होल से आगे अंतरिक्ष का एक क्षेत्र है जिसे इवेंट होरिज़ोंटल कहा जाता है. इसके आगे जाने वाली कोई भी वस्तु कभी वापस नहीं आती.
- प्रो. फ़ैल्के के मन में ब्लैक होल की तस्वीर प्राप्त करने का विचार तब आया था जब वह 1993 में पीएचडी छात्र थे.
- उस समय किसी ने भी नहीं सोचा था कि ब्लैक होल की तस्वीर प्राप्त करना संभव होगा. लेकिन प्रो. फ़ैल्के यह महसूस करने वाले पहले व्यक्ति थे.
- उन्हें लगता था कि एक प्रकार का रेडियो उत्सर्जन ब्लैक होल के चारों ओर उत्पन्न होगा जो इनता प्रबल होगा कि उसे दूरबीन से देखा जा सकेगा.
- वे याद करते हैं कि साल 1973 में उन्होंने एक पेपर पढ़ा था. जिसके मुताबिक ब्लैक होल अपने आकार के 2.5 गुना बड़ा दिखता है.
- 20 साल की मेहनत के बाद फैल्के ने यूरोपीय रिसर्च काउंसिल से इस प्रोजेक्ट के लिए फ़ंड पाया.
- इसकी रियल पिक्चर में यह एक डस्ट और गैस का प्रभामंडल दिख रहा है, इसके आस-पास ब्लैक रंग में आउटलाइन दिखाई दे रही है। यह हमारे ग्रह पृथ्वी से 87 गैलेक्सी और 55m लाइट इयर्स दूर है।
- पिक्चर में Galaxy Messier 87 के मध्य में एक Black Hole दिख रहा है। यह पृथ्वी से 53 मिलियन लाइट इयर्स दूर है। Event Horizon Telescope researchers के अनुमान के अनुसार, इस Black Hole में सूरज से 6 बिलियन गुना अधिक बड़ा है। इस Black Hole की पिक्चर लेने के लिए Event Horizon Telescope इस्तेमाल किए गए। यह टेलिस्कोप सिंगल टेलिस्कोप नहीं है बल्कि यह 8 रेडियो टेलिस्कोप को रेफेर करता है। इन्हें 5 महाद्वीपों पर लगाया गया था। इसे अप्रैल
- 2017 में एक हफ्ते के लिए स्पेस के एक ही एरिया को अलग-अलग जगह से टारगेट कर के लगाया गया था।
- एक पुराने या पारम्परिक टेलिस्कोप को इस तरह के Black Hole की पिक्चर लेने के लिए कम से कम पृथ्वी के साइज का होना पड़ता। Event Horizon Telescope के एक प्रोजेक्ट वैज्ञानिक के अनुसार, इस पिक्चर को आप असल में तभी देख पाते जब आपकी आंखें पृथ्वी की जितनी बड़ी होती और रेडियो में निरिक्षण कर रही होती । अलग-अलग कर के कोई भी टेलिस्कोप इसकी पिक्चर नहीं ले पाया है। सभी के प्रयासों को मिलाने से और डाटा को कलेक्ट करने से M87 में इसे देखा जा सका है।
- नासा ने ब्लैक होल की पहली तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की थी। नेशनल साइंस फाउंडेशन ने इस तस्वीर को कैप्चर किया है। इस तस्वीरे के आते ही एक इतिहास बन गया है।
- अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने बुधवार 10 April 2019 को ब्लैकहोल की पहली तस्वीर जारी की। आकाशगंगा एम87 में 53.5 मिलियन प्रकाश-वर्ष दूर मौजूद इस विशालकाय ब्लैक होल की तस्वीर जारी की गई है जिससे गैस और प्लाजमा का नांरगी रंग का प्रकाश निकलता दिख रहा है। वैज्ञानिकों ने ब्रसल्ज, शंघाई, तोक्यो, वॉशिंगटन, सैंटियागो और ताइपे में एकसाथ प्रेस वार्ता की और जिस दौरान इस तस्वीर को जारी किया गया। अंतरिक्ष के बारे में जानने को उत्सुक दुनिया भर के उत्साही लोग ब्लैकहोल की पहली वास्तविक तस्वीर का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।
- इसके लिए दुनिया के 6 देशों हवाई, एरिजोना, स्पेन, मेक्सिको, चिलि और दक्षिणी ध्रुव में Event Horizon Telescope लगाया गया था। इसका निर्माण खासतौर पर ब्लैक होल की तस्वीर लेने के लिए ही किया गया था।
- MIT की 29 वर्षीय छात्रा कैथरीन बूमैन ने दुनिया को दिखाई ब्लैक होल की तस्वीर
- दुनिया को पहली बार ब्लैक होल की तस्वीर देखने का मौका मिला है। इस अभियान में तमाम वैज्ञानिक लगे हुए थे, लेकिन इन सबके बीच सबसे ज्यादा चर्चा कैथरीन बूमैनकी हो रही है। रिसर्चर बूमैन ने ब्लैक होल की इमेज तैयार करने में अहम भूमिका अदा की, जो बीच में गहरा लाल और अगल-बगल में पीले रंग का दिख रहा है। द इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के मुताबिक मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी की 29 वर्षीय ग्रैजुएट बूमैन ने बताया है कि उन्होंने किस तरह एल्गोरिदम के जरिए इमेज को तैयार करने का काम किया।
- खास बात यह है कि इस बड़ी खगोलीय खोज को अंजाम देने वाली कैथरीन का एस्ट्रोनॉमर के तौर पर कोई करियर नहीं रहा है। वह कंप्यूटर एल्गोरिदम की जानकार रही हैं। लेकिन, अंतरिक्ष विज्ञानियों की ओर से जुटाए गए डेटा को उन्होंने एक उपयोगी तस्वीर में ढालने का काम किया।
- माना जाता है कि इससे मानवीय कल्पना को अपनी ओर खींचने वाले स्पेसटाइम फैब्रिक के रहस्यमय, विकृत क्षेत्र के आकार का खुलासा हो सकता है और कई साइंस-फिक्शन फिल्में बनाने की प्रेरणा मिल सकेगी और इससे आने वाली पीढ़ियों के लिए शोध सामग्री उपलब्ध हो सकती है।