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तत्सम :-
तत्सम शब्द ‘तत’ और ‘सम’ के योग से निर्मित होता है। जिसका अर्थ है– उसके समान।
जो शब्द संस्कृत भाषा से बिना किसी परिवर्तन के हिन्दी मे प्रयुक्त होता है, उसे तत्सम शब्द कहते हैं।
तत्सम शब्द के दो प्रकार के भेद मानें जाते हैं।
- परम्परागत
- निर्मित
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परम्परागत –
परम्परागत तत्सम शब्द वैसे तत्सम शब्द हैं, जो पुरानें संस्कृत ग्रंथों एवं संस्कृत के व्याकरण की किताबों में वर्णित है और उन्हें यथारूप ले लिया जाता है।
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निर्मित तत्सम शब्द–
निर्मित तत्सम शब्द का अर्थ अपनें नाम के अनुसार ही है, अर्थात ऐसे शब्द जो नये विचारों, चलन और समय के आधुनिकीकरण के परिणामस्वरूप शब्दकोष में जुड़ते चले गये।हिन्दी में इनका प्रयोग इसी तरह होता है और ये शुद्ध रूप शब्द मानें जाते हैं।
तद्भव शब्द–
तद्भव शब्द तद् और भव सें मिलकर निर्मित होता है, जिसका अर्थ है– विकसित होना या उत्पन्न होना। अर्थात ऐसे शब्द जो संस्कृत से विकसित हुए उत्पन्न हुए तद्भव शब्द कहे जाते हैं। तद्भव शब्द रूप परिवर्तन के साथ ही संस्कृत के होते हुए भी सामान्य बोलचाल की भाषा मे प्रयुक्त होते हुए हिन्दी में आये और अपना विशेष स्थान बना चुके हैं। संस्कृत से हिन्दी में आये तद्भव शब्द ही हिन्दी भाषा की शब्दकोष की पूंजी या आधार है।
कुछ तद्भव और तत्सम शब्दो की सूची नीचे दी गई है।
- तत्सम– तद्भव
- अक्षि– आँख
- अश्रु– आँसू
- अग्रणी– अगुवा
- अक्षवाट– अखाड़ा
- अक्षोट – अखरोट
- इक्षि – ईख
- एला – इलायची
- उपालम्भ– उलाहना
- उलूक – उल्लू
- कदली – केला
- कुक्कुर – कुत्ता
- कृक्षि – कोख
- स्कन्ध – कंधा
- क्रोश – कोश
- कथानिका – कहानी
- क्षेत्रित – खेती
- खर्जूर – खजूर
- घोटक – घोड़ा
- घटिका – घड़ी
- धान्य – धान
- निर्दहण – निभाना
- नारिकेल – नारियल
- प्रतिवेश – पड़ोस
- पदाति – पैदल
- मक्षिका – मख्खी
- छत्र – छाता