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You are here: Home / Biography / भारतेंदु हरिश्चन्द्र – जीवन परिचय

भारतेंदु हरिश्चन्द्र – जीवन परिचय

January 18, 2018 By Gyan Prakash

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भारतेंदु हरिश्चन्द्र जन्म – 9 सितम्बर 1850 ई०

जन्म स्थान – काशी (उ०प्र०)

 पिता – गोपालचंद्र “गिरिधरदास”

मृत्यु – 6 जनवरी 1885 ई०

आधुनिक हिन्दी साहित्य के जन्मदाता भारतेन्दु हरिश्चंद्र का जन्म काशी के प्रसिद्ध इतिहासकार सेठ अमीचंद की प्रपौत्र गोपालचंद्र के जेष्ठ पुत्र के रूप में हुआ, किन्तु होनी को कौन टाल सकता है कि जब  हरिश्चंद्र मात्र पांच वर्ष के थे तभी इनकी माता का और दस वर्ष की आयु में इनके पिता का देहान्त हो गया, इससे इनका पालन – पोषण इनके घर की दाई कालीकदमा एवं तिलकधारी नौकर ने किया ! बचपन में ही माँ – बाप की छत्रछाया ना रहने के कारण इन्होने वाराणसी के क्वींस कालेज में मात्र तीन चार वर्ष तक अध्ययन किया ! उस दौर में काशी के रईसों में राजाशिवप्रसाद सितारे हिन्द ही अंग्रेजी पढ़े – लिखे थे जिससे भारतेन्दु जी अंग्रेज़ी पढने के लिए इनके पास जाया करते थे !

क्वींस कॉलेज छोड़ने के उपरांत इन्होने ने स्वयं से बहुत सी भारतीय भाषाओ हिंदी,संस्कृत, अंग्रेजी, मराठी, गुजराती, मारवाड़ी, बंगला, उर्दू, पंजाबी आदि भारतीय भाषाओ का ज्ञान प्राप्त किया ! 13 वर्ष की छोटी सी अवस्था में इनका विवाह काशी के रईस लाला गुलाब राय की पुत्री मन्ना देवी से हुआ !

मन्ना देवी से इनके दो पुत्र एवं एक पुत्री हुई ! किन्तु बाल्यावस्था में इनके पुत्रों की मृत्यु हो गयी !

जबकि पुत्री विद्यावती सुशिक्षिता थी ! भारतेंदु जी ने अनेक यात्रायें की जिससे इनकी कई लेखनी यात्रा वृतांत में है !

ये कवि, नाटककार, निबन्ध लेखक, संपादक, समाज सुधारक थे ! ये हिन्दी के गद्य के जन्मदाता समझे जाते थे काव्य रचना में बाल्यकाल से इनकी अधिक रूचि थी जिससे प्रभावित होकर सन 1880 ई० में पं० रघुनाथ, पं० सुधाकर दिवेदी, पं० रामेश्वर दत्त व्यास के प्रस्तावनुसार इन्हे “भारतेन्दु” की पद्वी से विभूषित किया गया ! तभी से इनके नाम के आगे भारतेन्दु सुशोभित होने लगा, इन्होंने हिन्दी भाषा के प्रचार के लिए बहुत व्यापक आन्दोलन चलाया ! अपने आन्दोलन को गति देने के लिये इन्होंने पत्र – पत्रिकाओं में संपादन किया !

सन 1873 ई० में इन्होंने “हरिश्चन्द्र मैगनीज” का संपादन किया इसके अंको का प्रकाशन के बाद इनका नाम परिवर्तित करके “हरिश्चंद्र चन्द्रिका” हो गया ! किन्तु विभिन्न प्रकार की सांसारिक चिन्ताओ तथा क्षय रोग के कारण अल्पावस्था में ही 6 जनवरी 1885 ई० को इनका निधन हो गया !

Table of Contents

  • साहित्यिक परिचय –
  • रचनायें –
  • नाटक –
  • निबन्ध –
  • यात्रा वृतान्त –
  • जीवनियां –

साहित्यिक परिचय –

भारतेन्दु जी हिन्दी साहित्य के लिये जो समृद्ध किया वह सामान्य व्यक्ति के लिए असम्भव है ! इनकी कृतिया विभिन्न विधाओं में उल्लेखित है साहित्य के प्रति बहुत ही गहरा समर्पण भारतेन्दु जी ने किया, “दिल्ली दरबार दर्पण” इनका श्रेष्ठ निबन्ध माना जाता है, इन्होंने इतिहास, पुराण, धर्म, भाषा, संगीत आदि अनेक विषयों पर अपना निबन्ध लिखा ! नाटक के क्षेत्र में भी इनका प्रसिद्ध नाटक “अंधेर नगरी” है जिसमें इन्होनें एक राजा का अपनी प्रजा के प्रति क्या सोच है इसका उल्लेख करते हैं !

रचनायें –

इनकी समस्त विधा की रचनायें इस बात को उल्लेखित करती है कि यह एक अनूठे लेखक थे जो की विभिन्न भाषाओँ के माध्यम से अपनी रचनाओं को रचे हुए थे  ! इनकी रचना में नाटक, निबंध, संपादन, यात्रा-वृतान्त आदि का गहरा समावेश है, इनकी सर्वाधिक रचनायें खड़ी बोली में है, किन्तु काव्य में इन्होनें ब्रज भाषाओँ का प्रयोग किया है !

नाटक –

“रत्नावली”, “पाखण्ड-विडंबन”, “धनंजय विजय”, “कर्पूर मंजरी”, “विद्यासुंदर”, “अंधेर-नगरी”, “मुद्रा राक्षस”, “भारत जननी”, “सत्य हरिश्चंद्र”, “दुर्लभ बन्धु”, “वैदिकी”, “हिंसा हिंसा न भवति”, “श्री चन्द्रावली”, “विषस्य विश्मौश्धम”, “नील देवी”, “भारत दुर्दशा”, “सती प्रताप”, “प्रेम जोगिनी”  !

निबन्ध –

“दिल्ली दरबार दर्पण”, “लीलावती”, “परिहास वंचक”, “सुलोचना”, “मदालसा” !

यात्रा वृतान्त –

“सरयू पार की यात्रा”, “लखनऊ की यात्रा”

जीवनियां –

“सूरदास”, “जयदेव”, “महात्मा मोहम्मद”

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Filed Under: Biography, FEATURED Tagged With: Biography, जीवन परिचय

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