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खनिज (Mineral)-
ऐसे प्राकृतिक अजैविक पदार्थ जिनसे धातुओं और अधातुओं का निष्कासन किया जाता है वे सभी खनिज कहलाते हैं । इन्हें प्रायः खदानों से प्राप्त किया जाता है ।
अयस्क (Ore)-
ऐसे खनिज जिनसे धातुओं का निष्कासन व्यापारिक दृष्टि से लाभप्रद हो उन्हें अयस्क कहते हैं । इस प्रकार हम कह सकते हैं कि प्रत्येक अयस्क खनिज हो सकता है परन्तु प्रत्येक खनिज अयस्क नहीं हो सकता है ।
अनुदान (Subsidy)-
व्यापार एवँ उद्योग के विकास के लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली राशि, करों में छूट इत्यादि को अनुदान कहते हैं ।
आयात (Import)-
अन्य देशों से अपनी आवश्यकता के अनुसार सामान मँगाना आयात कहलाता है ।
निर्यात (Export)-
किसी देश से विदेशों में बेचने के लिए वस्तुओं को भेजना निर्यात कहलाता है ।
कृषि कार्य (Agriculture)-
पशुपालन , मत्सय पालन , वानिकी एवँ विभिन्न प्रकार की फसलों के उत्पादन को सम्यक रुप से कृषिकार्य कहते हैं ।
कृषि गहनता (Agricultural density)-
(वास्तविक बोयी हुई भूमि का क्षेत्रफल कुल कृषि योग्य भूमि का क्षेत्रफल) 100
कृषियोग्य व्यर्थ भूमि (Cultivable wasteland)-
पाँच वर्ष या उससे अधिक समय से परती पड़ी हुई ऐसी भूमि जो उचित तकनीक अपनाकर उपजाऊ बनाई जा सके , कृषि योग्य व्यर्थ भूमि कहलाती है।
बंजर और व्यर्थ भूमि (Barren and wasteland)-
बंजर, पहाड़ी भूभाग, मरूस्थल खड्ड इत्यादि ऐसी भूमि जो प्रचलित तकनिकि की सहायता से भी कृषि योग्य न बनायी जा सके ।
पुरातन या परती भूमि (Fallowland beyond current fallow)-
एक वर्ष से अधिक परंतु पाँच वर्ष से कम समय तक परती पड़ी भूमि को पुरातन परती कहा जाता है ।
कमान क्षेत्र (Command area)-
सिंचाई के किसी साधन द्वारा सिंचित क्षेत्र उस साधन का कमान क्षेत्र कहलाता है। प्रायः नहरों के लिये इसका अधिक प्रयोग किया जाता है।
कार्गो(Cargo)-
जहाजों से ढोये जाने वाले सामान को एवँ भारी मालवाहक जहाज को कार्गो कहते हैं।
रबी (Rabi)-
वर्षा ऋतु के पश्चात् खेतों से खरपतवार साफ करके जुताई करके बोई जाने वाली फसल को रबी की फसल कहते हैं।
खरीफ (Kharif) –
वर्षा ऋतु में बोई जानें वाली फसल को खरीफ की फसल कहते हैं ।
जायद(Zaid)-
खरीफ की फसल से पहले और रबी की फसल के बाद दो महीने के लिए बोयी जाने वाली फसल को जायद फसल कहते हैं ।
खाद्यान (Foodgrain)-
भोजन के लिये प्रयोग किये जाने वाले अनाज, दाल, तिलहन , इत्यादि को खाद्यान कहते हैं ।
ग्रामीण बस्ती (Rural settelement)-
ऐसी बस्ती जहाँ की 75 जनसँख्या की मुख्य आजीविका कृषि पर आधारित हो उसे ग्रामीण बस्ती या गाँव कहते हैं।
गैर कृषि कार्यों में प्रयुक्त भूमि (Land put to non- agriculture use)-
ऐसी भूमि जो भवन , सड़क ,उद्योग,दुकान, इत्यादि के लिए प्रयोग की जाती है ।
गीजर (Geyser)-
ऐसे झरने को जिसका जल अत्यधिक गर्म हो , उसे गीजर कहते हैं ।
जनगणना(Census)-
दस वर्षों के अन्तराल पर देश की जनसँख्या की गणना ही जनगणना कहलाती है ।
जनसँख्या-घनत्व (Population density)-
किसी क्षेत्र का जनसँख्या घनत्व उस क्षेत्र के प्रतिवर्ग किलोमीटर में निवास करने वाली जनसँख्या को कहते हैं।
जनसँख्या घनत्व
जनसँख्या-वृद्धि (Population growth)-
किसी निश्चित अँतराल पर किसी क्षेत्र की जनसँख्या का बढ़ना धनात्मक वृद्धि एवँ जनसँख्या का घटना ऋणात्मक वृद्धि कहलाता है , जब इसे प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है तो इसे जनसँख्या वृद्धि की दर कहते हैं ।
जनसँख्या-विस्फोट(Population explosion)-
जब किसी देश की जनसँख्या के अनुपात से वहाँ का उत्पादन कम हो तो इस स्थिति को जमसँख्या विस्फोट कहते हैं । मात्र जनसँख्या नियोजन के द्वारा ही इस पर नियंत्रण रखा जा सकता है ।
जन्म दर (Birth rate)-
एक वर्ष में किसी क्षेत्र में प्रति एक हजार जनसँख्या में जन्म लेने वाले जवित बच्चों की सँख्या को वार्षिक जन्म दर कहा जाता है ।
मृत्यु दर (Death rate)-
किसी क्षेत्र में एक वर्ष में प्रति एक हजार जनसँख्या पर मरने वाले लोगों की सँख्या को उस क्षेत्र की मृत्यु दर कहा जाता है ।
लिंगानुपात (Sex ratio)-
एक हजार पुरुषों के सापेक्ष औरतों की सँख्या को लिंगानुपात कहते हैं ।
जनसँख्या की प्राकृतिक वृद्धि (Natural growth in population)-
किसी क्षेत्र में प्रति एक हजार जनसँख्या में एक वर्ष में जन्म लेने वाले जीवित बच्चों की सँख्या से मरे हुए लोगों की सँख्या को घटाने पर प्राप्त सँख्या को ही जनसँख्या की प्राकृतिक वृद्धि कहते हैं ।
जीवन प्रत्यासा (Life expectancy)-
यह एक ऐसी औसत आयु है जिससे पता चलता है कि , लोगों की मृत्यु सामान्य तौर पर इस उम्र के पश्चात् हो जाती है ।
जल-चक्र(Water cycle)-
जल चक्र ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पृथ्वी का जल वाष्पीकृत होकर बादल के रूप में बदल जाता है और उसके बाद पुनः वर्षाजल के रूप में पृथ्वी पर आ जाता है ।
जल मण्डल (Hydrosphere)-
पृथ्वी तल के ऊपर के जल एवँ बर्फ के साथ-साथ पृथ्वी के अंदर के भूमिगत जल को मिलाकर जल मण्डल की रचना होती है ।
जल स्तर (Water level)-
वायुण्डलीय दाब पर चट्टानों के बीच संचित जल की ऊपरी सतह को जलस्तर को जल स्तर(Water level) कहते हैं।
जल संभरण(Water collection)-
वृक्षारोपण द्वारा अधिक वर्षा की परिस्थितियाँ उत्पन्न करना और वर्षा जल को किसी भी प्रकार से सुरक्षित रखना जल संभरण कहलाता है ।
तरु-उपवन एवं फसल की भूमि(Area under treetops and groves)-
निजी स्वामित्व वाली ऐसी भूमि जिसके अन्तर्गत बाग, बागीचे, पार्क, पुष्पोद्यान इत्यादि आते हैं ।