CTET 2021 Question Paper Answer Key and PDF Download
निर्देश- नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों (91 से 99 तक) के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए :
यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारा जो व्यवहार होता है, उसी के अनुसार फल भी मिलता है । जो समाज और संवेदना की नीतिमूलक स्थापनाओं को अपने व्यवहार का हिस्सा बनाता है, वही शांति पाने का हकदार होता है । महावीर, बुद्ध, क्राइस्ट, नानक, गाँधी अगर हमारे जीवन पर विराजमान हैं तो इसमें उनकी सदाशयता, निरहंकार और व्यवहार का योगदान है । वे जिए समस्त प्राणियों, प्रकृति और सृष्टि के लिए उनके मन में किसी के लिए रत्ती भर भी भेद-भाव नहीं रहा । अहंकार को विवेक से ही हटाया जा सकता है। गाँधीजी ने गुलामी से आज़ादी, मनुष्यता की सेवा और विवेक से मित्रता को अपना लक्ष्य बनाया । सबके प्रति समान दृष्टि का ही भाव और व्यवहार था कि गाँधी विश्व नेता बने । गीता में कहा गया है कि जो समस्त प्राणियों के हित में सदा संलग्न रहता है, सबका मित्र होता है । महावीर सत्य की साक्षात अनुभूति में मैत्री की अनिवार्यता की घोषणा करते हैं। यह अनुभूत सत्य है कि जो अपना मित्र होगा, वह हर किसी का मित्र होगा । आप भी इसे आजमा कर देखें। महसूस होने लगेगा कि जिस शांति के लिए भटक रहे हैं, वह कहीं बाहर नहीं आपके अंदर ही है।
- इनमें से किसे गांधीजी ने अपना लक्ष्य नहीं बनाया ?
(1) गुलामी से आज़ादी
(2) मनुष्यता की सेवा
(3) विवेक से मित्रता
(4) गुलामों से आज़ादी
- अनुच्छेद के अनुसार किसे अपने व्यवहार का हिस्सा बनाना चाहिए?
(1) समाज और संवेदनाओं के नैतिक मूल्य
(2) गुरु नानक देव की शिक्षाएँ
(3) सत्य और असत्य की परिभाषा
(4) अहंकार और विवेक की परिभाषा
- गांधीजी विश्व-नेता बने, क्योंकि
(1) उन्होंने सत्याग्रह किया।
(2) वे स्वतंत्रता आंदोलन के नेता थे।
(3) वे अनुशासन प्रिय थे।
(4) सभी के प्रति उनकी समान दृष्टि व व्यवहार था।
- महावीर, बुद्ध, क्राइस्ट, नानक व गाँधीजी में क्या समानता है ?
(1) सभी धर्मगुरु हैं।
(2) सभी संन्यासी हैं।
(3) सभी भारत में जन्मे हैं।
(4) सभी ने मानव-कल्याण किया।
- कौन सा शब्द भिन्न है?
(1) मित्रता
(2) मनुष्यता
(3) मित्र
(4) वीरता
- सही शब्द चुनिए –
सबके प्रति ___ दृष्टि का भाव और व्यवहार होना चाहिए।
(1) सामान्य
(2) समान
(3) भिन्न
(4) अलौकिक
- ‘अपना-पराया’ में समास है
(1) द्विगु
(2) तत्पुरुष
(3) द्वंद्व
(4) अव्ययीभाव
- हमें किसके अनुसार फल मिलता है ?
(1) समाज
(2) व्यवहार
(3) बुद्धि
(4) वंश
- शांति को कहाँ पाया जा सकता है ?
(1) स्वयं में
(2) परिवार में
(3) समाज में
(4) धर्म में
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निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों (प्रश्न 100 से 105 तक) के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिए :
देशवासियों सुनो देश को नमन करो
देश ही आधार है, प्यार देश से करो।
लड़ रहे हो आज क्यों छोटी-छोटी बात पर,
देश हित को भूलकर प्रांत, भाषा, जात पर,
मिटा के भेदभाव को, देश को सुदृढ़ करो।
भ्रष्टाचार की लहर उठ रही नगर-नगर,
घोर अंधकार में सूझती नहीं डगर,
ज्योति नीति-धर्म की आज तुम प्रखर करो।
देश आज रो रहा, देश का रुदन सुनो,
बाँट दर्द देश का, मित्रं देश के बनो
प्रेम के पीयूष से, द्वेष का शमन करो।
- कविता में नीति-धर्म की ज्योति प्रखर करने के लिए कहा गया है, ताकि
(1) देश को प्रेम किया जा सके।
(2) देश का दर्द बाँटा जा सके।
(3) आपसी भेदभाव दूर किया जा सके।
(4) भ्रष्टाचार को दूर किया जा सके।
- ‘देश आज रो रहा है।’ पंक्ति का आशय है –
(1) देश में शांति का वातावरण है।
(2) देश में अशांति का वातावरण है।
(3) देश के नागरिक रो रहे हैं।
(4) देश में बाढ़ आई है।
- द्वेष का शमन किया जा सकता है.
(1) प्रेम द्वारा
(2) नीति द्वारा
(3) धर्म द्वारा
(4) शासन द्वारा
- ‘पीयूष’ का विलोम शब्द है
(1) क्षीर
(2) नीर
(3) अमृत
(4) विष
- ‘भ्रष्टाचार का संधि-विच्छेद है
(1) भ्रष्टा + चार
(2) भ्रष्ट + चार
(3) भ्रष्ट + आचार
(4) भ्रष्ट + अचार
- कविता के अनुसार देश को सुदृढ़ किया जा सकता है –
(1) देश हित को भूलकर
(2) समस्त भेदभाव दूर करके
(3) देश को नमन करके
(4) देशभक्ति के गीत गाकर
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