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Child Devolpment Important Questions
बाल विकास से सम्बन्धित 15 महत्वपूर्ण प्रश्नों का सेट उपलब्ध करा रहें हैं , जो की आगामी शिक्षक भर्ती परीक्षाओं में पूंछे जायेंगें, अतः आप सभी अपनी परीक्षा की तैयारी को और सुगम बनाने के लिये इन प्रश्नों का अध्ययन अवश्य करें !
Imp. CTET, UPTET, RTET, KTET,MPTET, BIHAR TET, UKTET etc
- गर्भावस्था में माता को अच्छा मानसिक एबं शारीरिक स्वास्थ्य बनाये रखने की सलाह इसलिए दी जाती है की उससे न केवल गर्भ के अन्दर बालक के विकास पर असर पड़ता है बल्कि आगे के विकास की बुनियाद भी मजबूत होती है ! यदि माता का स्वास्थ्य अच्छा न हो, तो उसके बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य की आशा कैसे की जा सकती है ? और यदि बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा न होगा तो उसके विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता स्वाभाविक ही है !
- वातावरण में वे सब तत्त्व आ जाते है, जिन्होनें व्यक्ति को जीवन आरम्भ करने के समय से प्रभावित किया है ! गर्भावस्था से लेकर जीवनपर्यन्त तक अनेक प्रकार की घटनाएँ व्यक्ति एवं उसके विकास को प्रभावित करती है !
- जीवन की घटनाओं का बालक के जीवन पर प्रभाव पड़ता है ! यदि बालक के साथ अच्छा व्यवहार हुआ है,तो उसके विकास की गति सही होगी अन्यथा उसके विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा ! जिस बच्चे को उसकी माता ने बचपन में ही छोड़ दिया हो वह माँ के प्यार के लिये तरसेगा ही ! एसी स्थिति में उसके सर्वागीण विकास के बारे में कैसे सोचा जा सकता है ?
- जीवन की दुर्घटनाओं का भी बालक के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है ! बालक का जन्म किस परिवेश में हुआ, वह किस परिवेश में किन लोंगों के साथ रह रहा है, इन सबका प्रभाव उसके विकास पर पड़ता है ! परिवेश की कमियों, प्रदुषण, भौतिक सुविधाओं का अभाव इत्यादि कारण भी बालक के विकास को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करते है !
- बालक की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति का प्रभाव भी उसके विकास पर पड़ता है ! निर्धन परिवार के बच्चे को विकास के अधिक अवसर उपलब्ध नहीं होते ! अच्छे विद्यालय में पढ़ने, सांस्कृतिक कार्यक्रर्मों में भाग लेने इत्यादि का अवसर गरीब बच्चों को नहीं मिलता, इसके कारण उनका विकास सन्तुलित नहीं होता ! शहर के अमीर बच्चों को गांवों के गरीब बच्चों की तुलता में बेहतरीन सामाजिक एवं सांस्कृतिक वातावरण मिलता है, जिसके कारण उनका मानसिक एवं सामाजिक विकास स्वाभाविक रूप से अधिक होता है !
- जन्म के पश्चात् अनेक प्रकार के परिवेशीय कारक एक बच्चे के विकास को प्रभावित करने के लिये क्रियाशील होते है ! इनमें बच्चे के घर का परिवेश, उसके पारिवारिक सदस्यों और स्कूल एवं आस-पड़ोस के सम्बन्ध इत्यादि की प्रमुख भूमिका होती है !
- कोई बच्चा अपने माता-पिता की आनुवंशिकी से जो भी वंशानुक्रम में ग्रहण करता है उसे हम प्रकृति समझते है जबकि बच्चे के विकास में उसके परिवेश का जो प्रभाव उस पर पड़ता है उसे हम पालन-पोषण कहते है !
भौतिक कारक –
इसके अंतर्गत प्राकृतिक एवं भौगोलिक परिस्थितियां आती है ! मनुष्य के विकास पर जलवायु का प्रभाव पड़ता है ! जहाँ अधिक सर्दी पड़ती है या जहाँ अधिक गर्मी पड़ती है वहाँ मनुष्य का विकास एक जैसा नहीं होता है ! ठंडे प्रदेशों के व्यक्ति सुन्दर, गोरे, सुडौल, स्वस्थ्य एवं बुद्धिमान होते है ! धैर्य भी इनमें अधिक होता है ! जबकि गर्म प्रदेश के व्यक्ति काले, चिडचिडे तथा आक्रामक स्वभाव के होते है !
आर्थिक कारक
अर्थ अर्थात् धन से केवल सुविधाए ही नहीं प्राप्त होती है बल्कि इससे पौष्टिक चीजें भी खरीदी जा सकती है, जिससे मनुष्य का शरीर विकसित होता है ! धनहीन व्यक्ति में असुविधा के अभाव में हीन भावना विकसित हो जाती है जो विकास के मार्ग में बाधक है ! आर्थिक वातावरण मनुष्य की बौध्दिक क्षमता को भी प्रभावित करता है ! सामाजिक विकास पर भी इसका प्रभाव पड़ता है !
सामाजिक कारक
व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी है इसलिए उस पर समाज का प्रभाव अधिक दिखाई देता है ! सामाजिक व्यवस्था, रहन-सहन, पारस्परिक अन्त:क्रिया और सम्बन्ध आदि बहुत से तत्व है जो मनुष्य के शारीरिक, मानसिक तथा भावात्मक एवं बौध्दिक विकास को किसी न किसी ढंग से अवश्य प्रभावित करते है !
सांस्कृतिक कारक
धर्म और, संस्कृति मनुष्य के विकास को अत्यधिक प्रभावित करती है ! खाने का ढंग, रहन-सहन का ढंग, पूजा-पाठ का ढंग, समारोह मनाने का ढंग, सस्कार का ढंग आदि हमारी संस्कृति है ! जिन संस्कृतियों में वैज्ञानिक दृष्टीकोण समाहित है उनका विकास ठीक ढंग से होता है लेकिन जहाँ अंधविश्वास और रूढ़ीवाद का समावेश है उस समाज का विकास सम्भव नहीं है !
बुध्दि पर प्रभाव
- गोडार्ड का मत है कि मंद्बुध्दी माता-पिता की संतान मंद्बुध्दी और तीव्रबुध्दि माता-पिता की संतान तीव्रबुध्दि बाली होती है !
- मानसिक क्षमता के अनुकूल ही बालक में संवेगात्मक क्षमता का विकास होता है !
- बुध्दि की श्रेष्ठता प्रजाति के कारण भी होती है !
- संवेगात्मक रूप से असंतुलित बालक पढ़ाई में या किसी अन्य गम्भीर कार्यों में ध्यान नहीं दे पाते, फलस्वरूप उनका मानसिक विकास भी प्रभावित होता है !
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